भक्ति आन्दोलन के सन्त (Saints of Bhakti Movement) रामानुजाचार्य : (11वीं शताब्दी) इन्होंने राम को अपना आराध्य माना। इनका जन्म 1017 ई. में मद्रास के निकट पेरुम्वर नामक स्थान पर हुआ था। 1137 ई. में इनकी मृत्यु हो गयी रामानुज ने वेदान्त में प्रशिक्षण अपने गुरु, कांचीपुरम के यादव प्रकाश से प्राप्त किया था। रामानंद : रामानंद का जन्म 1299 ई. में प्रयाग में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रयाग तथा वाराणसी में हुई। इन्होंने अपना सम्प्रदाय सभी जातियों के लिए खोल दिया। रामानुज की भाँति इन्होंने भी भक्ति को मोक्ष का एकमात्र साधन स्वीकार किया। इन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं सीता की आराधना को समाज के समक्ष रखा। रामानंद के 12 शिष्यों में दो स्त्रियाँ पद्मावती एवं सुरसरी थी। इनके प्रमुख शिष्य थे-रैदास (हरिजन), कबीर (जुलाहा), धन्ना (जाट), सेना (नाई), पीपा (राजपूत), सधना (कसाई)। कबीर : कबीर का जन्म 1440 ई. (विवादास्पद) में वाराणसी में एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से (लोक श्रुतियों अनुसार) हुआ था । लोक-लज्जा के भय से उसने नवजात शिशु को वाराणसी में लहरतारा के पास एक तालाब के समीप छोड़ दिया। जुलाहा