वारेन हेस्टिंग्स (1774-85 ई.) (Warren Hastings (1774–85 AD)) > इसने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता लाया। > 1772 ई. में इसने प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की। फौजदारी अदालतें सदर निजामत अदालत द्वारा निरीक्षित होती थी। नाजिम द्वारा नियुक्त दरोगा अदालत की अध्यक्षता करता था। दीवानी अदालत में कलक्टर मुख्य न्यायाधीश होता था । जिला फौजदारी अदालत एक भारतीय अधिकारी के अधीन होती थी जिसकी सहायता के लिए एक मुफ्ती और एक काजी होता था। कलक्टर इस न्यायालय के कार्य की देखभाल करता था। > कलकत्ता में एक सदर दीवानी अदालत और एक सदर फौजदारी अदालत की स्थापना की गयी। सदर दीवानी अदालत में कलकता कौंसिल का सभापति और उसी कौंसिल का दो सदस्य राय रायन और मुख्य कानूनगो की सलाह से न्याय करते थे। सदर फौजदारी अदालत में नाइब-निजाम, मुख्य काजी, मुफ्ती और तीन मौलवियों की सलाह से न्याय करते थे। जिले की दीवानी और फौजदारी अदालतों के मुकदमे अन्तिम निर्णय के लिए सदर अदालतों में भेजे जाते थे। > दीवानी मुकदमों में जातीय कानून अर्थात हिन्दुओं के संबंध में हिन्दू- कानून और मुस