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gupta kingdom (गुप्त साम्राज्य)


  Gupta Kingdom (गुप्त सामराज्य)

* गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी शताब्दी के अन्त में प्रयाग के निकट कौशा्ी में हुआ।
* गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त (240-280 ई.) था। श्रीगुप्त का उत्तराधिकारी पटोल्कच (2N0.320 ई) हुआ।
* गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राद् चन्द्रगुप्त प्रथम था। यह 320 ई में गद्दी पर बैठा। इसने लिछवि  राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया। इसने महाराजाचिराज की उपाधि धारण की।
* गुप्त संवत् (319-320 .) की शुरुआत चन्द्रगुप्त प्रथम ने की ।
* चन्द्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ, जो 335 ई. में राजगगद्दी पर बैठा। इसने आयावर्त के 9 शासकों और दशिणावर्त के 12 शासकों को पराजित किया। इन्हीं विजयों के कारण इसे भारत का नेपोतियन कहा जाता है। इसने अश्वमेम्यधकर्त्ता  विक्रमक एवं परमभागवत की उपाधि धारण की। इसे कविराज भी कहा जाता है।

नोट :- परमभागवत की उपाधि धारण करने वाला प्रथम गुप्त शासक समुद्रगुप्त था 

* समुद्गुप्त विष्णु का उपासक था।
* समुद्गुप्त संगीत प्रेमी था। ऐसा अनुमान उसके सिक्कों पर उसे वीणा-वादन करते हुए दिखाया जाने से लगाया गया है।
* समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिषेण  था, जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख  की रचना की।
* समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त ॥ हुआ, जो 380 ई. में राजगगद्दी  पर बैठा ।
* चन्द्रगुप्त॥ के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान भारत आया।
* शकों पर विजय के उपलक्ष्य में चन्द्रगुप्त-॥ ने चौदी के सिक्के चलाए।
* शाब चन्द्रगुप्त ॥ का राजकवि था । चन्द्रगुप्त ॥ के समय में पाटलिपुत्र एवं उज्जयिनी विद्या  के प्रमुख केन्द्र थे ।
* अनुश्रुति  के अनुसार चन्द्रगुप्त ॥ के दरबार में नौ   विद्वानों की एक मंडली निवास करती थी जिसे नवरत्न  कहा गया है महाकवि कालिदास संभवत इनमें अग्रगण्य थे कालिदास के अतिरिक्त इनमें धन्वन्तरी , क्ष्यपणक (फलित-ञ्योतिष के विद्वान), अमरसिंह (कोशकार), शंकु   (बास्तुकार), वेतालभट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर (खगोल विज्ञानी) एवं वररुचि जैसे विद्वान थे।
* चन्द्रगुप्त ॥ का सान्धिविग्रहिक सचिव वीरसेन शैव मतालंदी या जिसने शिव की पुजा के लिए उदयगिरि पहाड़ी पर एक गुफा का निर्माण करवाया था। बीरसेन व्याकरण न्यायमीमांसा एवं शब्द का प्रकाण्ड पंडित  तथा एक कवि भी था।
* चन्द्रगुप्त ॥ का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त  या गोविन्दगुप्त (415-454 ई. ) हुआ। 
* नालंदा  विश्ववि्यालय की सथापना कुमारगुप्त ने की थी।
* कुमारगुप्त का उत्तराधिकारी स्कन्धगुप्त  (455-467 ई.)हुआ 
*  स्कन्धगुप्त ने गिरनार पर्वत  पर स्थित सुदर्शन झील  का पुनरुधार किया।
* स्कन्धगुप्त ने पर्णदत्त  को सौराष्ट्र का गवर्नर नियुक्त किया।
* स्कन्धगुप्त के शासनकाल में ही  हुण का आकरमण शुरू हो गया।
* अंतिम गुप्त शासक विष्णुगुप्त  था।
* गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई देश थी जिसके शासक को गोपना कहा जाता था एक दूसरी प्रादेशिक इकाई भुक्ति थी, जिसके शासक उपरिक कहलाते थे।
* भुक्ति के नीचे विषय नामकप्रशाशनिक  इकाई होती थी, जिसके प्रमुख  विषयपति कहकाते थे।
* पुलिस विभाग का मुख्य  अधिकारी दंडपाशक  कहलाता था। 
* पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था।
* प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी। ग्राम का प्रशासन ग्राम  सभा द्वारा संचालित होता था।ग्राम  सभा का मुखिया ग्रामिक  कहलाता था एवं अन्य सदस्य महलर कहलाते थे
* ग्राम-समूहों की छोटी इकाई को पेठ कहा जाता था ।
* गुप्त शासक कुमारगुप्त के दामोदरपुर ताम्रपत्र में भूमि बिक्री सम्बन्धी अधिकारियों के क्रियाकलापों का उल्लेख है।
*  आर्थिक उपयोगिता के आधार पर निम्न प्रकार की भूमि थी-
1. क्षेत्र : कृषि करने योग्य भूमि ।
2. वास्तु: वास करने योग्य भूमि।
चरागाह भूमि : पशुओं के चारा योग्य भूमि ।
4. सिल : ऐसी भूमि जो जोतने योग्य नहीं होती थी ।
5. अप्रहत : ऐसी भूमि जो जंगली होती थी।
* सिंचाई के लिए रहट या घंटी यंत्र का प्रयोग होता था ।
*  श्रेणी के प्रधान को ज्येष्ठक कहा जाता था।
*  गुप्तकाल में उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था ।
*  गुप्त राजाओं ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएँ जारी कीं। इनकी स्वर्ण
* मुद्राओं को अभिलेखों में दीनार कहा गया है।
*  कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन याज्ञवल्क्य स्मृति में मिलता है जाति के रूप में कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन ओशनम् स्मृति में मिलता है।
*  विंध्य जंगल में शबर जाति के लोग अपने देवताओं को मनुष्य का मांस चढ़ाते थे।
*  पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ई. के भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिलता है, जिसमें किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी के सती होने का उल्लेख है।
*  गुप्तकाल में वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था। वृद्ध वेश्याओं को कुट्टनी कहा जाता था।
*  गुप्त सम्राट् वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उन्होंने इसे राजधर्म बनाया था। विष्णु का वाहन गरुड़ गुप्तों का राजचिह्न था।
* गुप्तकाल में वैष्णव धर्म संबंधी सबसे महत्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ (जिला-ललितपुर) का दशावतार मंदिर है। यह बेतवा नदी के तट पर स्थित है।
* अजन्ता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में वर्तमान में केवल 6 ही शेष हैं, जिनमें गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं। इसमें गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है। गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बुद्ध केजन्म, जीवन, महाभिनिष्करमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित चित्र उद्धृत किये गये हैं।
* अजंता की गुफाएँ बौद्धधर्म की महायान शाखा से संबंधित हैं।
* गुप्तकाल में निर्मित अन्य गुफा बाघ की गुफा है, जो बाघ (जिला-धार, मध्य प्रदेश) नामक स्थान पर विंध्यपर्वत को काटकर बनायी गयी थी।
* गुप्तकाल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र (संस्कृत) को संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रंथ माना जाता है बाइबिल के बाद इसका स्थान दूसरा है। इसे पाँच भागों में बाँटा गया है-
1. मित्रभेद,
2. मित्रलाभ,
3. संधि विग्रह, 
4. लब्ध प्रणाश, 
5. अपरीक्षाकारित्व ।

* आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम एवं सूर्यसिद्धान्त नामक ग्रंथ लिखे । उसने सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण के वास्तविक कारण बताए। आर्यभट्ट पहला भारतीय नक्षत्र वैज्ञानिक थे जिसने घोषणा की कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।
*  वराहमिहिर की पुस्तक वृहत् संहिता में नक्षत्र विद्या, वनस्पतिशास्त्र, प्राकृतिक इतिहास और भौतिक भूगोल के विषयों पर चर्चा की गई है। वराहमिहिर ने पंचसिद्धांत वृहज्जाक और लघुजातक की रचना भी की।
* अ्रह्मगुप्त इस युग के महान नक्षत्र वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ थे उसने यह घोषणा करके न्यूटन के सिद्धांत की पूर्व कल्पना कर ली: "प्रकृति के एक नियम के अनुसार सभी वस्तुएँ पृथ्वी पर गिरती हैं, क्योंकि पृथ्वी स्वभाव से ही सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।"
* गुप्तकाल काल में पलकाण्व ने पशु-चिकित्सा पर हस्त्यायुर्वेद लिखा।
*  नवनीतकम् की रचना गुप्तकाल में की गई है। इस पुस्तक में नुस्खे, सूत्र और उपचार-विधियाँ दी गई हैं।
*  पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्तकाल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख है।
* संस्कृत गुप्त राजाओं की शासकीय भाषा थी।
* गुप्तकाल में चाँदी के सिक्कों को रूप्यका कहा जाता था ।
* याज्ञवल्क्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना गुप्तकाल में ही हुई।
*  मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में ही हुआ। त्रिमूर्ति की अवधारणा का विकास गुप्तकाल में ही हुआ।
* गुप्तवंश के शासकों ने मंदिरों एवं ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान में दिया।
* गुप्तकाल लौकिक साहित्य की सर्जना के लिए स्मरणीय है। भास के तेरह नाटक इसी काल के हैं। शूद्रक का लिखा नाटक मृच्छकटिकम् या माटी की खिलौनागाड़ी जिसमें निर्धन ब्राह्मण के साथ वेश्या का प्रेम वर्णित है, प्राचीन नाटकों में सर्वोत्कृष्ट माना जाता है।
* कालिदास की कृति अभिज्ञान शाकुंतलम् ( राजा दुष्यंत एवं शकुंतला के प्रेम की कथा) प्रथम भारतीय रचना है जिसका अनुवाद यूरोपीय भाषाओं में हुआ। ऐसी दूसरी रचना है भगवतगीता। 
* सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।

नोट : नगरों का क्रमिक पतन गुप्तकाल की महत्वपूर्ण विशेषता थी ।

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लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

भारत का इतिहास , प्राचीन भारत, सिन्धु सभ्यता

  सिन्धु सभ्यता 3.  सिन्धु सभ्यता     रेडियोकार्थन C4 जैी नवीन विश्वेषण-पदधति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है। इसका विस्तार त्रिभुजाकार है। * सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की । * सिन्धु सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक (Potohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा सकता है । इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। * सर जान मार्शल (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 ई. में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की। * सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्र.), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मॉँदा (जम्मू-कश्मीर) व दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)। * सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्कव  अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 क

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

  मराठों का उत्कर्ष (Marathas high) > मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था > शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। > शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था । > शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था। > शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।  > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे। > शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली। > अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। > 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। > शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी > बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा। > शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी। > शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा । &g

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी

Sikander Mahan (सिकंदर महान)

Sikander Mahan (सिकंदर महान) *  सिकन्दर का जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ। *  सिकन्दर के पिता का नाम फिलिप था। *  फिलिप 359 ईसा पूर्व में मकदूनिया का शासक बना। इसकी हत्या 329 ईसा पूर्व में कर दी गयी। *  सिकन्दर अरस्तू का शिष्य था। * सिकन्दर ने भारत-विजय का अभियान 326 ईसा पूर्व में प्रारंभ किया। * सिकन्दर का सेनापति सेल्यूकस निकेटर था। * सिकन्दर को पंजाब के शासक पीरस के साथ युद्ध करना पड़ा, जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध या झेलम (वितस्ता) का युद्ध के नाम से जाना जाता है। * सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी के पश्चिमी तट पर पहुँचकर उसे पार करने से इन्कार कर दिया। * सिकन्दर स्थल-मार्ग द्वारा 325 ईसा पूर्व में भारत से लीटा। * सिकन्दर की मृत्यु 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन में 33 वर्ष की अवस्था में हो गयी। * सिकन्दर का जल-सेनापति था-निर्याकस। * सिकन्दर का प्रिय घोड़ा बऊकेफला था। इसी के नाम पर इसने झेलम नदी के तट पर बऊकेफला नामक नगर बसाया। भारत का इतिहास  ,  प्राचीन भारत  

Vakataka Dynasty (वाकाटक राजवंश)

Vakataka Dynasty (वाकाटक राजवंश) *  वाकाटक राजवंश की स्थापना 255 ई. के लगभग विन्ध्यशक्ति नामक व्यक्ति ने की थी। इसके पूर्वज सातवाहनों के अधीन बरार (विद्भ) के स्थानीय शासक थे। *  विन्ध्यशक्ति के पश्चात उसका पुत्र प्रवरसेन प्रथम (275-335 ई.) शासक हुआ। वाकाटक वंश का वह अकेला ऐसा शासक था जिसने सम्राट की उपाधि धारण की थी। पुराणों से पता चलता है कि इसने चार अश्वमेध यज्ञ किया था । *  प्रवरसेन के पश्चात वाकाटक साम्राज्य दो शाखाओ में विभक्त हो गया-प्रधान शाखा तथा बासीय (वरसगुल्म) शाखा। दोनों शाखाएँ समानान्तर रूप से शासन किया। *  प्रधान शाखा के प्रमुख राजा-रूद्रसेन प्रथम (335-360ई.), प्रभावती गुप्ता का संरक्षण काल (390-410), प्रवरसेन द्वितीय (41-440 ई.) नरेन्द्र सेन (440-460 ई.), पृथ्वीसेन द्वितीय (460-480 ई.) *  गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्ता का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय से किया वाकाटकों का राज्य गुप्त एवं शक राज्यों के बीच था। राज्यों पर विजय प्राप्त करने के लिए चन्द्रगुप्त-II ने इस संबंध को स्थापित किया था बिवाह के समय बाद रूद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हो

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

Vaishnava Dharma वैष्णव धर्म

वैष्णव धर्म *   वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिपदों से मिलती है। इसका विकास भगवत धर्म से हुआ। नारायण के पूजक मूलतः पंचरात्र कहे जाते थे । * वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो वृषण कबीले के थे और जिनका निवास स्थान मथुरा था। * कृष्ण का उल्लेख सर्वप्रथम छांदोग्य उपनिषद् में देवकी पुत्र और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ है। वासुदेव कृष्ण का सबसे प्रारंभिक  अभिलेखीय उल्लेख बेसनगर स्तम्भ अभिलेख में पाया गया है। * विष्णु  के दस अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है। दस अवतार इस प्रकार है-मत्य, कू्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, बलराम, बुद्ध एवं कल्कि । गुप्तकाल में विष्णु का वराह अवतार सर्वाधिक प्रसिद्ध था। * वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है। नोट : भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र में छः तिलियाँ हैं। प्रमुख सम्प्रदाय, मत एवं आचार्य प्रमुख सम्प्रदाय                     मत                           आचार्य वैष्णव सम्प्रदाय                          विशिष्टाद्वैत              रामानुज ब्राह्मण सम्प्रदाय                      द्