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| Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य) | | 
परिचय
मौर्य साम्राज्य प्राचीन भारत का
पहला विशाल और केंद्रीकृत साम्राज्य था। यह लगभग 322 ईसा पूर्व से 185 ईसा
पूर्व तक अस्तित्व में रहा। मौर्य साम्राज्य के उदय से पहले भारत कई छोटे-छोटे
राज्यों में विभाजित था। मौर्य साम्राज्य ने इन राज्यों को एक सूत्र में बांधकर
पूरे उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया।
स्थापना का इतिहास
- मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त
     मौर्य ने
     की।
- चन्द्रगुप्त ने नंद वंश के अंतिम शासक
     धनानंद को हराकर मगध राज्य पर अधिकार किया।
- मगध की राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना)
     थी, जिसे
     मौर्यों की राजधानी बनाया गया।
- चन्द्रगुप्त ने कूटनीति, युद्धनीति और प्रशासन के क्षेत्र में कई
     सुधार किए।
- चन्द्रगुप्त की सबसे बड़ी सहायता उनके गुरु
     और सलाहकार कौटिल्य (जिन्हें चाणक्य भी कहा जाता है) थे, जिन्होंने उनकी रणनीति और शासन में
     मार्गदर्शन किया।
- मौर्य साम्राज्य ने शीघ्र ही भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भागों को अपने अधीन कर
     लिया।
मौर्य साम्राज्य की विशेषताएँ
- यह भारत का पहला ऐसा साम्राज्य था जिसने
     अत्यंत व्यापक भूभाग पर शासन किया।
- प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था अत्यंत संगठित
     थी।
- मौर्य शासकों ने राजधर्म का पालन किया, जिसमें न्याय, आर्थिक विकास, और जनता के कल्याण को प्राथमिकता दी गई।
- मौर्य साम्राज्य में सामाजिक, धार्मिक सहिष्णुता और विविधता को बढ़ावा
     मिला।
मौर्य शासक और उनका शासनकाल
चन्द्रगुप्त मौर्य (लगभग 322–298 ईसा पूर्व)
- संस्थापक और प्रथम सम्राट: चन्द्रगुप्त
     मौर्य ने नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को हराकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना
     की।
- राजधानी: पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया, जो वर्तमान पटना के पास स्थित है।
- सहयोगी: चाणक्य (कौटिल्य), जो राजनीति, अर्थशास्त्र और युद्धनीति में निपुण थे।
     उनका लिखा ‘अर्थशास्त्र’ आज भी प्रसिद्ध है।
- सेनापति और सैन्य नीतियां: मेगस्थनीज
     (यूनानी राजदूत) के अनुसार चन्द्रगुप्त के पास विशाल, संगठित सेना थी, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना, और हाथी सेना शामिल थी।
- फारसी युद्ध: चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस निकेटर (अलेक्जेंडर
     के सेनापति और बाद में फारसी साम्राज्य के शासक) से युद्ध किया और पूर्वी
     फारस के कुछ इलाके जीते। बाद में दोनों के बीच शांति और क्षेत्रीय समझौता
     हुआ।
- धार्मिक जीवन: जीवन के अंत में चन्द्रगुप्त ने जैन धर्म
     अपनाया और दक्षिण भारत के कर्णाटक क्षेत्र में तपस्या की।
बिन्दुसार
(लगभग 298–272 ईसा
पूर्व)
- चन्द्रगुप्त के पुत्र: बिन्दुसार
     ने अपने पिता के राज्य को और विस्तारित किया।
- राजनीतिक स्थिति: साम्राज्य की सीमाएँ मजबूत की गईं, और प्रशासनिक ढांचे को स्थिर किया गया।
- विदेशी संबंध: विदेशी इतिहासकार मेगस्थनीज ने बिन्दुसार के
     शासनकाल को एक सशक्त और सफल शासन बताया।
- धर्म: बिन्दुसार ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा
     दिया, बौद्ध
     और जैन दोनों धर्म फल-फूल रहे थे।
अशोक
महान (लगभग 272–232 ईसा
पूर्व)
- तीसरे सम्राट: अशोक ने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया।
- शुरुआत: प्रारंभ में एक कठोर और युध्दप्रिय राजा, जिसने कई युद्ध लड़े।
- कलिंग युद्ध: 261 ईसा पूर्व में कलिंग युद्ध में भारी रक्तपात
     हुआ, जिसने
     अशोक को अहिंसा और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
- धर्म परिवर्तन: युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया
     और अहिंसा, धर्म
     और न्याय के सिद्धांतों को शासन में अपनाया।
- धार्मिक प्रचार: अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तंभ, मठ और शिलालेख बनवाए। उन्होंने बौद्ध संघों
     को समर्थन दिया।
- प्रशासन: अशोक ने राज्य में धर्म और नैतिकता को
     बढ़ावा दिया, धार्मिक
     सहिष्णुता का महत्व समझा।
- अशोक के शिलालेख: पूरे भारत में पाए जाते हैं और प्रशासन, न्याय और धर्म के सिद्धांत बताते हैं।
- साम्राज्य का विस्तार: अशोक के
     शासनकाल में साम्राज्य का क्षेत्र सबसे व्यापक था, जिसमें लगभग पूरा भारत और नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के कुछ हिस्से शामिल थे।
- विदेशी संपर्क: अशोक ने कई देशों को दूत भेजे, जिनमें श्रीलंका और मिस्र भी थे।
मौर्य साम्राज्य का विस्तार
भूगोल और सीमाएँ
- मौर्य साम्राज्य अपने समय का सबसे बड़ा
     साम्राज्य था, जिसका
     क्षेत्र लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला था।
- उत्तर में हिमालय तक, पश्चिम में अफगानिस्तान (काबुल घाटी) तक, पूर्व में बंगाल और दक्षिण में कर्नाटक के
     कुछ हिस्से तक इसका प्रभाव था।
विस्तार की प्रमुख घटनाएँ
चन्द्रगुप्त का विस्तार:
o   नंद वंश का अंत कर मगध पर कब्जा किया।
o   पूर्वी फारस के कुछ हिस्से जीत लिए।
o   सेल्यूकस निकेटर के साथ हुए युद्ध के बाद एक
समझौता हुआ जिसमें मौर्यों ने पश्चिमी क्षेत्र छोड़ दिए लेकिन भारत की सीमा
सुरक्षित रही।
बिन्दुसार का विस्तार:
o   अपने पिता के राज्यों को स्थिर किया।
o   दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर प्रभाव डाला।
o   साम्राज्य के प्रशासन और सैन्य शक्ति को मजबूत
किया।
अशोक महान का विस्तार:
o   कलिंग युद्ध के बाद दक्षिण भारत के कई राज्यों को
अधीन किया।
o   साम्राज्य का क्षेत्र सबसे बड़ा हुआ।
o   पश्चिम में काबुल घाटी तक अधिकार।
o   आधुनिक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के भी हिस्से साम्राज्य में शामिल थे।
प्रशासनिक विस्तार
- मौर्य साम्राज्य के प्रत्येक हिस्से को
     मण्डलों (प्रांतों) में बांटा गया था।
- प्रत्येक मण्डल के प्रबंधक को ‘मण्डलाधिपति’
     कहा जाता था।
- प्रांतों की निगरानी केंद्रीय सरकार द्वारा
     कड़ी निगरानी से की जाती थी।
- गांवों, नगरों और शहरों में स्थानीय प्रशासन की
     व्यवस्था थी, जहां
     ग्राम पंचायत और नगर परिषद प्रमुख थे।
सामरिक विस्तार
- मौर्य सेना के पास पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी सेना थी।
- सेना की संख्या लाखों में थी, जो उस समय के लिए अद्भुत थी।
- सामरिक कुशलता से मौर्यों ने अपने पड़ोसी
     राज्यों को परास्त कर विशाल साम्राज्य बनाया।
- साम्राज्य के सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा के
     लिए किले और मजबूत गढ़ बनाए गए।
मौर्य साम्राज्य  – प्रशासन और शासन व्यवस्था
केंद्रीय शासन
- मौर्य साम्राज्य में शासन व्यवस्था अत्यंत
     सुव्यवस्थित और केंद्रीकृत थी।
- साम्राज्य के प्रमुख शासक को सम्राट कहा जाता
     था, जिसके
     पास पूर्ण अधिकार होते थे।
- सम्राट का दरबार होता था, जिसमें मंत्री, सैन्य अधिकारी, और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।
- सम्राट के सलाहकारों में चाणक्य
     (कौटिल्य) का
     योगदान सर्वाधिक उल्लेखनीय था।
- राज्य के विभिन्न विभागों का संचालन मंत्री
     करते थे, जैसे
     सेना, न्याय, वित्त, कृषि, वन, और धर्म आदि।
प्रशासनिक विभाग
मौर्य शासन में कई विभाग थे, जो राज्य के विभिन्न कार्य संभालते थे:
1.   सैन्य विभाग: सेना की व्यवस्था और रक्षा।
2.   वित्त विभाग: कर संग्रह, खजाना, और आर्थिक व्यवस्था।
3.   न्याय विभाग: न्यायालय, कानून व्यवस्था, और
अपराध नियंत्रण।
4.   कृषि विभाग: कृषि नीति, सिंचाई, और खाद्य उत्पादन की देखरेख।
5.   वन विभाग: वन संपदा, शिकार और वन उत्पादों का नियंत्रण।
6.   धार्मिक विभाग: धार्मिक संस्थानों का संरक्षण और धर्म के
प्रचार-प्रसार की देखरेख।
क्षेत्रीय प्रशासन
- साम्राज्य को छोटे-छोटे प्रांतों या मण्डलों
     में बांटा गया था।
- हर मण्डल का अधिकारी सम्राट का प्रतिनिधि
     होता था और उसका काम प्रशासन और कानून व्यवस्था बनाए रखना था।
- मण्डलाधिकारी के अधीन जिलाधिकारी, और उनके अधीन स्थानीय अधिकारी होते थे।
- गांवों में ग्राम पंचायतें सक्रिय थीं, जो स्थानीय प्रशासन संभालती थीं।
सेना और सुरक्षा
- मौर्य सेना की संख्या लाखों में थी, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना और हाथी सेना प्रमुख थे।
- सेना को युद्ध कौशल और अनुशासन में
     प्रशिक्षित किया जाता था।
- सीमाओं पर किले और गढ़ बनाए गए थे।
- जासूसी तंत्र मजबूत था, जो साम्राज्य की सुरक्षा में मदद करता था।
न्याय व्यवस्था
- न्याय व्यवस्था काफी सशक्त थी।
- सम्राट न्याय के सर्वोच्च अधिकारी थे।
- अपराधों पर सख्त दंड होते थे।
- न्याय के लिए अलग-अलग स्तरों पर न्यायाधीश
     नियुक्त थे।
- आम जनता के हितों की रक्षा को सर्वोपरि माना
     जाता था।
कर व्यवस्था
- कर प्रणाली सुव्यवस्थित थी।
- कृषि उत्पादों, व्यापार, हस्तशिल्प और अन्य वस्तुओं पर कर लगाया जाता
     था।
- कर संग्रह के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की
     नियुक्ति थी।
- कर का इस्तेमाल सेना, प्रशासन और विकास कार्यों में होता था।
मौर्य साम्राज्य – धर्म और संस्कृति
धार्मिक सहिष्णुता और विविधता
- मौर्य साम्राज्य में विभिन्न धर्मों का
     सम्मान और संरक्षण किया जाता था।
- चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म के अनुयायी थे, जबकि उनके सलाहकार चाणक्य ने हिंदू धर्म के
     सिद्धांतों का समर्थन किया।
- अशोक महान ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसका
     प्रचार-प्रसार किया।
- सम्राट अशोक ने सभी धर्मों के प्रति
     सहिष्णुता और सम्मान का संदेश दिया।
बौद्ध धर्म का प्रचार
- अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा और धर्म
     के मार्ग को अपनाया।
- उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के
     लिए कई स्तंभ, मठ
     और विहार बनवाए।
- अशोक के शिलालेख पूरे भारत में पाए जाते हैं, जिनमें उन्होंने धर्म की नीति, अहिंसा, और न्याय के सिद्धांतों को लिखा।
- अशोक ने बौद्ध संघ को संरक्षण दिया और
     श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, और अन्य देशों को बौद्ध धर्म के प्रचार के
     लिए दूत भेजे।
कला और स्थापत्य
- मौर्य काल की कला प्रमुख रूप से स्तंभों, शिलालेखों, और मूर्तिकला में दिखाई देती है।
- अशोक के स्तंभ (जैसे सारनाथ का सिंह स्तंभ)
     भारतीय कला के महान उदाहरण हैं।
- मौर्य काल के स्तंभों की नक्काशी बहुत
     सूक्ष्म और कुशल थी।
- पॉलिश किए हुए पत्थर और लोहे की वस्तुओं में
     उच्च कौशल दिखता है।
- मौर्य वास्तुकला में पाटलिपुत्र का विशाल
     महल और किले प्रमुख थे।
साहित्य और ज्ञान
- मौर्य काल में प्रशासन, राजनीति, और अर्थशास्त्र पर गहन लेखन हुआ।
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र इस काल की महान कृति है, जिसमें शासन, अर्थनीति, युद्धनीति और समाजशास्त्र का विस्तृत वर्णन
     है।
- विदेशी यात्री जैसे मेगस्थनीज और फाहियान ने
     मौर्य साम्राज्य का विस्तृत वर्णन किया।
- मौर्य काल में शिक्षा और विश्वविद्यालयों का
     विकास हुआ, विशेषकर
     नालंदा और तक्षशिला जैसे केंद्र विकसित हुए।
सामाजिक व्यवस्था
- मौर्य काल में समाज में जाति व्यवस्था
     प्रचलित थी, लेकिन
     शासन में सामाजिक न्याय पर भी बल दिया गया।
- महिलाओं के अधिकारों और स्थिति में सुधार की
     कुछ झलक मिलती है।
- कृषि, वाणिज्य और उद्योग में विविधता और विस्तार
     हुआ।
- मौर्य काल में व्यापारिक मार्गों का विकास
     हुआ, जिससे
     आर्थिक समृद्धि बढ़ी।
मौर्य साम्राज्य – अर्थव्यवस्था
कृषि
- मौर्य साम्राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य
     आधार कृषि था।
- सिंचाई की सुविधा विकसित की गई, नहर और तालाब बनवाए गए।
- फसल उत्पादन में विविधता थी — धान, गेंहू, जौ, मटर, तिलहन आदि उगाए जाते थे।
- कृषि उत्पादों पर कर लगाया जाता था, जो राज्य की आय का मुख्य स्रोत था।
- किसानों की स्थिति का ध्यान रखा जाता था, और उन्हें कृषि कार्य के लिए सहायता दी जाती थी।
व्यापार और वाणिज्य
- मौर्य काल में देश के अंदर और बाहर व्यापार
     काफी फल-फूल रहा था।
- राज्य ने व्यापार मार्गों की सुरक्षा की, जिससे व्यापारी सुरक्षित रह सके।
- समुद्री और स्थलमार्ग दोनों का विकास हुआ।
- विदेशी व्यापार में मुख्य वस्तुएं थी —
     मसाले, कपड़े, रत्न, धातु आदि।
- विदेशी व्यापारी और दूत आए, जिनसे आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध बने।
शिल्प और उद्योग
- विभिन्न प्रकार के शिल्प उद्योग विकसित हुए, जैसे धातु शिल्प, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र, आभूषण आदि।
- लोहे, तांबे, और सोने के उपकरण बनाये जाते थे।
- हाथ से बने वस्त्र और रंगीन कपड़े प्रसिद्ध
     थे।
- मौर्य काल में कुटीर उद्योग और शहरों में औद्योगिक गतिविधियां होती थीं।
कर प्रणाली
- कर प्रणाली सुव्यवस्थित थी।
- भूमि कर (भूमि उत्पाद का लगभग 25%) मुख्य कर था।
- व्यापार, उद्योग, और हस्तशिल्प पर भी कर लगाया जाता था।
- वन उत्पाद, खनिज, और पशुपालन से भी राजस्व आता था।
- कर संग्रह के लिए दक्ष अधिकारियों की नियुक्ति होती थी।
मुद्रा और वित्त
- मौर्य काल में सोने, चांदी, और तांबे के सिक्के चलन में थे।
- मुद्रा प्रणाली सुव्यवस्थित थी, जिससे व्यापार सुचारू रूप से चलता था।
- खजाना सम्राट के नियंत्रण में था।
- राजस्व का प्रयोग सेना, प्रशासन, विकास कार्य, और धर्म प्रचार में किया जाता था।
आर्थिक नीतियां
- राज्य ने आर्थिक विकास के लिए कई नीतियां
     बनाई।
- कृषि सुधार, व्यापार प्रोत्साहन, और उद्योग विकास पर जोर दिया गया।
- आर्थिक गतिविधियों के लिए बाजारों, नगरों और बंदरगाहों का विकास हुआ।
मौर्य साम्राज्य  का पतन
और समाप्ति
मौर्य साम्राज्य का पतन
- अशोक के बाद मौर्य वंश के शासकों की
     राजनीतिक शक्ति और प्रभाव कम होता गया।
- अशोक के बाद के शासकों के समय प्रशासनिक
     कमजोरी और भ्रष्टाचार बढ़ने लगे।
- साम्राज्य के विशाल क्षेत्र को नियंत्रित
     करना कठिन हो गया, जिससे
     केंद्र और प्रांतों के बीच दूरी और विवाद बढ़े।
- प्रांतीय शक्तियों ने धीरे-धीरे स्वायत्तता
     प्राप्त करनी शुरू कर दी, जिससे
     केंद्रीय सत्ता कमजोर हुई।
- अशोक के बाद के शासकों ने बौद्ध धर्म के
     बजाय अन्य धार्मिक और राजनीतिक झुकाव अपनाए, जिससे सामाजिक और धार्मिक अस्थिरता हुई।
आंतरिक कलह और विद्रोह
- साम्राज्य के अंदर कुछ क्षेत्रों में
     विद्रोह और बगावत की घटनाएं बढ़ीं।
- कई प्रांतों में स्थानीय शासकों ने
     स्वतंत्रता की मांग की।
- मौर्य साम्राज्य के कमजोर पड़ने का फायदा
     उठाकर अन्य छोटे-छोटे राजवंशों ने अपने क्षेत्र मजबूत किए।
बाहरी आक्रमण और दबाव
- उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बार-बार विदेशी
     आक्रमण हुए, जैसे
     ग्रीको-बैक्ट्रियन, शक
     और कुषाणों ने दबाव बनाया।
- इन आक्रमणों से साम्राज्य की सेना और संसाधन
     कमजोर हुए।
मौर्य वंश का अंत
- लगभग 185 ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य का अंत माना जाता
     है।
- अंतिम मौर्य शासक ब्राह्मण सेनापति दार्शक या कुछ
     अन्य शासक थे, जिनका
     शासन कमजोर था।
- मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में कई
     छोटे-छोटे राज्यों और राजवंशों का उदय हुआ, जैसे गुप्त वंश।
मौर्य साम्राज्य की विरासत
- मौर्य साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप में
     एक एकीकृत शासन की नींव रखी।
- प्रशासनिक और सैन्य संगठन की प्रणाली
     प्राचीन भारत के लिए उदाहरण बनी।
- धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में मौर्य काल
     का बड़ा योगदान रहा।
- अशोक का धर्म-राज्य मॉडल बाद के राजवंशों के
     लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।
- मौर्य काल की कला, स्थापत्य, और साहित्य भारतीय संस्कृति का अनमोल हिस्सा
     है।
नोट :
· मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है।
· विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया
· घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है।
· चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था ।
· चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया ।
· चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया।
· सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए।
· चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दीक्षा ली थी।
· मेगस्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था , जो चन्द्रगुप्त के दरबार में रहता था।
· मेगस्थनीज द्वारा लिखी गयी पुस्तक इंडिका है। मेगस्थनीज के अनुसार सम्राट का जनता के सामने आने के अवसरों पर शोभा यात्रा के रूप में जश्न मनाया जाता है उन्हें एक सोने के पालकी में ले जाया जाता है। उनके अंगरक्षक सोने और चाँदी से अलंकृत हाथियों पर सवार रहते हैं। कुछ अंगरक्षक पेड़ों को लेकर चलते हैं। इन पेड़ों पर प्रशिक्षित तोतों का झुण्ड रहता है जो सम्राट के सिर के चारों तरफ चक्कर लगाता रहता है राजा सामान्यतः हथियारबंद महिलाओं से घिरे होते हैं। उनके खाना खाने के पहले खास नौकर उस खाने को चखते हैं। वे लगातार दो रात एक ही कमरे में नहीं सोते थे। पाटलिपुत्र के बारे में: पाटलिपुत्र एक विशाल प्राचीर से धिरा है, जिसमें 570 बुर्ज और 64 द्वार हैं। दो और तीन मंजिल वाले घर लकड़ी और कचची ईंटो से बने है राजा का महल भी काठ का बना है जिसे पत्थर की नककाशी से अलंकृत किया गया है यह चारों तरफ से उद्यानों और चिड़ियों के लिए बने बसेरों से घिरा है।
· चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने किया है।
· प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में दिए थे।
· चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ईसा पूर्व में श्रवणबेलगोला में उपवास द्वारा हुई।
बिन्दुसार
· चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार हुआ, जो 298 ईसा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा।
· अमित्रघात के नाम से बिन्दुसार जाना जाता है। अमित्रधात का अर्थ है-शत्रु विनाशक।
· बिन्दुसार आजीवक सम्भ्रदाय का अनुयायी था।
नोट : अशोक पहले ब्रह्मण धर्म का अनुयायी था कल्हण के राजतरांगिणी से पता पलता है कि वह शैव धर्म का उपासक था। निम्रोध के प्रवचन सुनकर उराने बौद्ध धर्म को अपना लिया। वायुपुराण' में बिन्दुसार को भद्रसार (या वारिसार) कहा गया है।
· स्ट्रैबो के अनुसार सीरियन नरेश एण्टियोकस ने विन्दुसार के दरबार में डाइमेकस नामक राजदूत भेजा। इसे ही मेगस्थनीज का उत्तराधिकारी माना जाता है।
· जैन ग्रंथों में बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया है।
· बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिका (सिन्धु एवं झेलम नदी के बीच ) में हुए दो विद्रोहों का वर्णन है। इस विद्रोह को दबाने के लिए बिन्दुसार ने पहले सुसीम को और बाद में अशोक को भेजा।
· ऐथीनियश के अनुसार बिन्दुसार ने सीरिया के शासक एण्टियोकस-1 से मदिरा, सूखे अंजीर एवं एक दार्शनिक भेजने की प्रार्थना की थी ।
· बौद्ध विद्वान् तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया है।
अशोक
· बिन्दुसार का उत्तराधिकारी अशोक महान हुआ जो 269 ईसा पूर्व में मगध की राजगी पर बैठा। अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था। (दिव्यावदान के अनुसार )
· राजगदी पर बैठने के समय अशोक अवन्ति का राज्यपाल था ।
· मास्की एवं गुर्जरा अभिडेख में अशोक का नाम अशोक मिलता है।
· पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया है।
· अशोक ने अपने अभिषेक के 8 वर्ष बाद छगभग 261 ईसा पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया। (उल्लेख 13 वें शिलालेख में)
· प्लिनी का कथन है कि मिश्र का राजा फिलाडेल्फस (टॉलमी ने पाटलिपुत्र में डियानीसियस नाम का एक राजदूत भेजा था(अशोक के दरबार में).
· उपगुप्त नामक बौध भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी ।
नोट:आजीवक सम्रदाय की स्थापना मक्खलि गोसाल ने की थी
· अशोक एक उपासक के रूप में अपने राज्याभिषेक के 10 वें वर्ष बोधगया की, 12 वें वर्ष निगालि सागर की एवं 20 वें वर्ष में लुम्बनी की यात्रा की ।
· अशोक ने आजीवकों को रहने हेतु बराबर की पहियों में चार गुफाओं का निर्माण करवाया, जिनका नाम कर्ज चोपार , सुदागा तथा विश्व झोपडी था। अशोक के पौत्र दशरथ ने आजीविकों को नागा्जुन गुफा प्रदान की थी।
· अशोक के 7 वें वर्ष लेख में आजीविकों का उल्लेख किया गया है तथा महामात्रों को आजीविकों के हितो का ध्यान रखने के लिए कहा गया है।
· अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा। बौद्ध परंपरा और उनके लिपियों के अनुसार अशोक ने 84,000 स्तूपों का निर्माण किया था।
· भारत में शिलालेखों का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया।
· अशोक के शिलालेखों में ब्राह्मी , खरोष्ट्टी ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का प्रयोग हुआ है।
· ग्रीक एवं अरमाइक लिपि का अभिकेख अफगानिस्तान से, खरोष्ट्टी लिपि का अभिलेख उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से और शेष भारत से ब्राह्मी लिपि के अभिलेख मिले हैं।
नोट :- खरोष्ट्टी लिपि दायें से बायीं और लिखी जाती थी।
·       अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बाँटा जा सकता
है-
1. शिखालेख,
2. स्तम्भलेख तथा
3. गुहालेख ।
· अशोक के शिलालेख की खोज 1750 ई. में पद्राटी फेन्थेलर ने की थी। इनकी संख्या-14 है।
· अशोक के अभिलेख पढ़ने में सबसे पहली सफलता 1837 ई. में जेम्स प्रिसेप को हुई।
अशोक
के प्रमुख शिलालेख एवं उनमें वर्णित विषय
· पहला शिलालेख :- इसमें पशुबलि की निंदा की गयी है।
· दूसरा शिलालेख :- इसमें अशोक ने मनुष्य एवं पशु दोनों की चिकित्सा -व्यवस्था का उल्लेख किया है।
· तीसरा शिलालेख :- इसमें राजकीय अधिकारियों को यह आदेश दिया गया है कि वे हर पाँचवें वर्ष के उपरान्त दौरे पर जाएँ। इस शिलालेख में कुछ धार्मिक नियमों का भी उल्लेख किया गया है।
· चौथा शिलालेख :- इस अभिलेख में भेरीघोष की जगह धम्मघोष की घोषणा की गयी है।
· पांचवा शिलालेख :- इस शिलालेख में धर्म-महामात्रों की नियुक्ति के विषय में जानकारी मिलती है।
· छठवां शिलालेख :- इसमें आत्म-नियंत्रण की शिक्षा दी गयी है।
· सातवां एवं आठवा :- शिलालेख :- इनमें अशोक की तीर्थ - यात्राओं का उल्लेख किया गया है
· नौवां शिलालेख :- इसमें सच्ची भेंट तथा सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है।
· दसवाँ शिलालेख :- इसमें अशोक ने आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचे।
· ग्यारहवा शिलालेख :- इसमें धम्म की व्याख्या की गयी है।
· बारहवा शिलालेख :- इसमें स्त्री महामात्रों की नियुक्ति एवं सभी प्रकार के विचारों के सम्मान की बात कही गयी है।
· तेरहवाँ शिलालेख :- इसमें कलिंग युद्ध का वर्णन एवं अशोक के हृदय -परिवर्तन की बात कही गयी है। इसी में पाँच यवन राजाओं के नामों का उल्लेख है, जहाँ उसने धम्म प्रचारक भेजे।
· चौदहवाँ शिलालेख :- अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया।
· अशोक के स्तम्भ-लेखों की संख्या 7 है, जो केवल ब्राह्मी लिपि में लिखी गयी है। यह छह अखग-अलग स्थानों से प्राप्त हुआ है-जो इस प्रकार है
1 प्रयाग स्तम्भ लेख - यह कोसांबी में स्थित था । इस स्तम्भ-लेख को अकबर ने इलाहाबाद के किले में स्थापित कराया।
2. दिल्ली टोपरा : यह स्तम्भ-लेख फिरोजशाह तुगलक के द्वारा टोपरा से दिल्ली लाया गया।
3 दिल्ली-मेरठ : पहले मेरठ में स्थित यह स्तम्भ-लेख फिरोजशाह द्वारा दिल्ली लाया गया है।
4. रामपुरवा : यह स्तम्भ-लेख चम्पारण (बिहार) में स्थापित है इसकी खोज 1872 ई. में कारलायल ने की।
5. लौरिया अरेराज: चम्पारण (बिहार) में।
6. लौरिया नन्दनगढ़:- चम्पारण (बिहार) में इस स्तम्भ पर मोर का चित्र बना है।
· कौशाम्बी अभिलेख को रानी का अभिलेख' कहा जाता है।
· अशोक का 7वाँ अभिलेख सबसे लम्बा है।
· अशोक का सबसे छोटा स्तम्भ-लेख रुम्मिदेई है। इसी में लुम्बिनी में धम्म-यात्रा के दौरान अशोक द्वारा भू-राजस्व की दर घटा देने की घोषणा की गयी है।
· प्रथम पृथक् शिलालेख में यह घोषणा है कि सभी मनुष्य मेरे बच्चे हैं।
· अशोक का शार-ए-कुना (कंदहार) अभिलेख ग्रीक एवं आर्मेइक भाषाओं में प्राप्त हुआ है।
· साम्राज्य में मुख्यमंत्री एवं पुरोहित की नियुक्ति के पूर्व इनके चरित्र को काफी जाँचा-परखा जाता था, जिसे उपधा परीक्षण कहा जाता था।
· सम्राट् की सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् होती थी जिसमें सदस्यों की संख्या 12, 16 या 20 हुआ करती थी।
· अर्थशास्त्र में शीर्षस्थ अधिकारी के रूप में तीर्थ का उल्लेख मिलता है, जिसे महामात्र भी कहा जाता था। इसकी संख्या 18 थी । अर्थशास्त्र में चर जासूस को कहा गया है।
· अशोक के समय मौर्य साम्राज्य में प्रांतों की संख्या 5 थी। प्रांतों को चक्र कहा जाता था।
· प्रांतों के प्रशासक कुमार या आर्यपुत्र या राष्ट्रिक कहलाते थे।
· प्रांतों का विभाजन विषय में किया गया था, जो विषयप तिके अधीन होते थे।
· प्रशासन की छोटी इकाई ग्राम थी, जिसका मुखिया ग्रामीक कहलाता था।
· मेगस्थनीज के अनुसार नगर का प्रशासन 30 सदस्यों का एक मंडल करता था जो 6 समितियों में विभाजित था । प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे।
· बिक्री-कर के रूप में मूल्य का 10वाँ भाग वसूला जाता था, इसे बचाने वालों को मृत्युदंड दिया जाता था।
· मेगस्थनीज के अनुसार एग्रोनोमाई मार्ग-निर्माण अधिकारी था । जस्टिन के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में लगभग 50,000 अश्वारोही सैनिक, 9,000 हाथी व 8,000 रथ थे।
· जस्टिन नामक यूनानी लेखक के अनुसार, चन्द्रगुप्त ने अपनी 6 लाख की फ़ौज से सारे भारत को रौंद दिया। यह बात सही भी हो सकती है और नहीं भी, लेकिन यह सही है कि चन्द्रगुप्त ने पश्चिमोत्तर भारत को सेल्यूकस की गुलामी से मुक्त किया।
· युद्ध-क्षेत्र में सेना का नेतृत्व करनेवाला अधिकारी नायक कहलाता था।
· सैन्य विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी सेनापति होता था ।
· प्लिनी नामक यूनानी लेखक के अनुसार चंद्रगुप्त की सेना में 6,00,000 पैदल सिपाही, 30,000 घुड़सवार और 9,000 हाथी थे।
· मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य सेना का रख-रखाव 5 सदस्यीय, छह समितियाँ करती थीं।
· अशोक के समय जनपदीय न्यायालय के न्यायाधीश को राजुक कहा जाता था।
· सरकारी भूमि को सीता भूमि कहा जाता था।
· बिना वर्षा के अच्छी खेती होनेवाली भूमि को अदेवमातृक कहा जाता था।
· मेगस्थनीज ने भारतीय समाज को सात वर्गों में विभाजित किया है-.
1. दार्शनिक,
2. किसान,
3. अहीर,
4. कारीगर,
5. सैनिक,
6. निरीक्षक एवं
7. सभासद ।
· स्वतंत्र वेश्यावृत्ति को अपनाने वाली महिला रूपाजीवा कहलाती थी ।
· नंद वंश के विनाश करने में चन्द्रगुप्त मौर्य ने कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता प्राप्त की थी।
· मौर्य शासन 137 वर्षों तक रहा। भागवत पुराण अनुसार वंश में दस राजा हुए जबकि वायु पुराण के अनुसार नौ राजा हुए।
· मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ था। इसकी हत्या इसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईसा पूर्व में कर दी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाली।
नोट : अशोकाराम विहार पाटलिपुत्र में था।
मौर्य साम्राज्य से संबंधित  MCQ
 मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की?
A) अशोक
B) चंद्रगुप्त मौर्य
C) बिंदुसार
D) चाणक्य
उत्तर: B) चंद्रगुप्त मौर्य
मौर्य
साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी?
A) Taxila
B) पाटलिपुत्र
C) काशी
D) लुंबिनी
उत्तर: B) पाटलिपुत्र
मौर्य
साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध सम्राट कौन थे?
A) बिंदुसार
B) चंद्रगुप्त मौर्य
C) अशोक
D) सम्राट हर्षवर्धन
उत्तर: C) अशोक
अशोक
के धर्म परिवर्तन का कारण कौन-सा युद्ध था?
A) कलिंग युद्ध
B) गजनी युद्ध
C) कुरुक्षेत्र युद्ध
D) महाभारत युद्ध
उत्तर: A) कलिंग युद्ध
मौर्य
काल में किसने ‘अर्थशास्त्र’ लिखा?
A) महावीर
B) चाणक्य (कौटिल्य)
C) चंद्रगुप्त मौर्य
D) बुद्ध
उत्तर: B) चाणक्य (कौटिल्य)
अशोक
ने किस धर्म का प्रचार किया?
A) जैन धर्म
B) बौद्ध धर्म
C) हिन्दू धर्म
D) इस्लाम
उत्तर: B) बौद्ध धर्म
मौर्य
साम्राज्य का पतन कब हुआ?
A) 321 ई.पू.
B) 185 ई.पू.
C) 232 ई.पू.
D) 500 ई.पू.
उत्तर: B)
185 ई.पू.
मौर्य
शासन व्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ कौन सा है?
A) रामायण
B) महाभारत
C) अर्थशास्त्र
D) वेद
उत्तर: C) अर्थशास्त्र
अशोक
के शिलालेख किस भाषा में मिले हैं?
A) संस्कृत
B) प्राकृत
C) हिंदी
D) तमिल
उत्तर: B) प्राकृत
मौर्य
काल में सबसे पहले विदेशी दूत कौन भारत आया?
A) मेगस्थनीज
B) मार्को पोलो
C) इब्न बतूता
D) ह्वेनसांग
उत्तर: A) मेगस्थनीज
चंद्रगुप्त
मौर्य ने किस राजा से सत्ता छीनी?
A) बिंदुसार
B) दियोधतु (नंद वंश)
C) सम्राट विक्रमादित्य
D) सम्राट हर्षवर्धन
उत्तर: B) दियोधतु (नंद वंश)
मौर्य
साम्राज्य का विस्तार किस सम्राट के शासनकाल में सबसे अधिक हुआ?
A) बिंदुसार
B) चंद्रगुप्त मौर्य
C) अशोक
D) देवभूतिदेव
उत्तर: C) अशोक
अशोक
ने अपनी प्रजा के लिए किस प्रकार के संदेश जारी किए?
A) धार्मिक उपदेश
B) युद्ध आदेश
C) कृषि निर्देश
D) कोई नहीं
उत्तर: A) धार्मिक उपदेश
मौर्य
साम्राज्य के अंत के बाद कौन-सा वंश सत्ता में आया?
A) गुप्त वंश
B) शुंग वंश
C) मुग़ल साम्राज्य
D) चोल वंश
उत्तर: B) शुंग वंश
मौर्य
शासन में किस प्रकार की सेना थी?
A) केवल पैदल सेना
B) पैदल सेना, अश्व सेना, हाथी सेना
C) केवल अश्व सेना
D) केवल घुड़सवार सेना
उत्तर: B) पैदल सेना, अश्व सेना, हाथी
सेना
अशोक
की धर्मशाला कहां स्थित थी?
A) पाटलिपुत्र
B) सारनाथ
C) श्रीलंका
D) कई जगहों पर
उत्तर: D) कई जगहों पर
मौर्य
साम्राज्य में किसे न्याय का दूत कहा जाता था?
A) राजा
B) मंत्री
C) धर्म राज
D) राजगुरु
उत्तर: C) धर्म राज
चाणक्य
का अन्य नाम क्या था?
A) कौटिल्य
B) मघ
C) कालिदास
D) विष्णु शर्मा
उत्तर: A) कौटिल्य
मौर्य
काल में किसे राज्य की नींव रखने वाला कहा जाता है?
A) बिंदुसार
B) चंद्रगुप्त मौर्य
C) अशोक
D) चाणक्य
उत्तर: B) चंद्रगुप्त मौर्य
अशोक
के शिलालेखों में क्या संदेश मिलता है?
A) अहिंसा और धर्म प्रचार
B) युद्ध के आदेश
C) कर संग्रह
D) कृषि नियम
उत्तर: A) अहिंसा और धर्म प्रचार
मौर्य
साम्राज्य का क्षेत्रफल किससे प्रभावित था?
A) केवल भारत के पश्चिमी हिस्से तक
B) पूरा उपमहाद्वीप
C) लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का
हिस्सा
D) केवल बिहार क्षेत्र
उत्तर: C) लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का हिस्सा
मौर्य
काल के दौरान किस विदेशी सेनापति ने भारत पर आक्रमण किया था?
A) सिकंदर महान
B) रुक्मीनी
C) मेगस्थनीज
D) कोई नहीं
उत्तर: D) कोई नहीं (सिकंदर आक्रमण मौर्य से पहले था)
अशोक
के द्वारा स्थापित स्तूपों में प्रमुख स्तूप कहाँ है?
A) सांची
B) पाटलिपुत्र
C) उज्जैन
D) बनारस
उत्तर: A) सांची
अशोक
की राजधानी क्या थी?
A) Taxila
B) पाटलिपुत्र
C) मथुरा
D) काशी
उत्तर: B) पाटलिपुत्र
मौर्य
साम्राज्य में सबसे पहले किसने पशुपालन और कृषि को प्रोत्साहन दिया?
A) अशोक
B) चंद्रगुप्त मौर्य
C) बिंदुसार
D) कौटिल्य
उत्तर: B) चंद्रगुप्त मौर्य
मौर्य
साम्राज्य के दौरान किस धर्म के अनुयायी सबसे अधिक थे?
A) बौद्ध धर्म
B) जैन धर्म
C) हिन्दू धर्म
D) इस्लाम
उत्तर: A) बौद्ध धर्म
मौर्य
साम्राज्य का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी कौन होता था?
A) सेनापति
B) प्रधानमंत्री
C) राजा
D) न्यायाधीश
उत्तर: B) प्रधानमंत्री
अशोक
ने किस धर्म की यात्रा के लिए अपने दूत भेजे थे?
A) जैन धर्म
B) बौद्ध धर्म
C) हिन्दू धर्म
D) इस्लाम
उत्तर: B) बौद्ध धर्म
मौर्य
साम्राज्य के अंत में किसने शासन किया?
A) ब्राह्मण वंश
B) शुंग वंश
C) गुप्त वंश
D) कुषाण वंश
उत्तर: B) शुंग वंश
मौर्य
साम्राज्य के शासन में किस तरह की मुद्रा प्रचलित थी?
A) सिक्के
B) केवल वस्तु विनिमय
C) कागजी मुद्रा
D) कोई मुद्रा नहीं
उत्तर: A) सिक्के
मौर्य
साम्राज्य में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र कहाँ था?
A) नालंदा
B) तक्षशिला
C) पाटलिपुत्र
D) उज्जैन
उत्तर: B) तक्षशिला
चंद्रगुप्त
मौर्य ने किस विदेशी राज्य के साथ मित्रता स्थापित की?
A) रोम
B) यूनान (सेल्यूसीड साम्राज्य)
C) मंगोलिया
D) मिस्र
उत्तर: B) यूनान (सेल्यूसीड साम्राज्य)
अशोक
ने किस वर्ष कलिंग युद्ध लड़ा?
A) 261 ई.पू.
B) 320 ई.पू.
C) 185 ई.पू.
D) 500 ई.पू.
उत्तर: A)
261 ई.पू.
मौर्य
साम्राज्य में किसे राजसभा का प्रमुख माना जाता था?
A) सेनापति
B) मंत्री
C) राजा
D) मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: C) राजा
मौर्य
काल के समय किस चीनी यात्री ने भारत का भ्रमण किया?
A) ह्वेनसांग
B) मर्हान्डा
C) जेनबुडोंग
D) कोई नहीं (ह्वेनसांग गुप्तकाल में
आया)
उत्तर: D) कोई नहीं (ह्वेनसांग गुप्तकाल में आया)
अशोक
के धर्म प्रचार के लिए किस स्थान पर सबसे प्रसिद्ध स्तूप है?
A) सांची
B) उज्जैन
C) वाराणसी
D) मथुरा
उत्तर: A) सांची
मौर्य
साम्राज्य में किसे न्याय व्यवस्था का प्रधान माना जाता था?
A) राजा
B) न्यायाधीश
C) मंत्री
D) सेनापति
उत्तर: B) न्यायाधीश
मौर्य
साम्राज्य में किसे सबसे बड़ा करदाता माना जाता था?
A) किसान
B) व्यापारी
C) राजघराना
D) कोई नहीं
उत्तर: A) किसान
मौर्य
साम्राज्य के दौरान कौन-सा धर्म सबसे अधिक राज्य का संरक्षण प्राप्त करता था?
A) हिन्दू धर्म
B) बौद्ध धर्म
C) जैन धर्म
D) कोई नहीं
उत्तर: B) बौद्ध धर्म
मौर्य
साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शिलालेख कहां पाए गए?
A) पाटलिपुत्र
B) कंधार
C) कोडगु
D) कालेनूर
उत्तर: B) कंधार
मौर्य
काल के दौरान कौन-सी भाषा प्रमुख थी?
A) संस्कृत
B) प्राकृत
C) तमिल
D) हिंदी
उत्तर: B) प्राकृत
मौर्य
साम्राज्य के दौरान किसका प्रशासन सबसे अधिक प्रभावी था?
A) स्थानीय प्रधान
B) केंद्रीय शासन
C) धार्मिक नेता
D) सेनापति
उत्तर: B) केंद्रीय शासन
मौर्य
साम्राज्य में किसे सबसे अधिक शक्ति दी गई थी?
A) राजा
B) मंत्री
C) सेनापति
D) न्यायाधीश
उत्तर: A) राजा
अशोक
के शासनकाल में किसने शासन का विस्तार किया?
A) चंद्रगुप्त मौर्य
B) बिंदुसार
C) अशोक स्वयं
D) कौटिल्य
उत्तर: C) अशोक स्वयं
मौर्य
साम्राज्य के समय किसे स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख माना जाता था?
A) वैद्य
B) राजा
C) मंत्री
D) धर्माचार्य
उत्तर: A) वैद्य
मौर्य
साम्राज्य के समय सबसे बड़ी सामाजिक व्यवस्था क्या थी?
A) जाति व्यवस्था
B) वर्ग व्यवस्था
C) कोई व्यवस्था नहीं
D) धार्मिक व्यवस्था
उत्तर: A) जाति व्यवस्था
मौर्य
कालीन कला की प्रमुख विशेषता क्या थी?
A) भित्ति चित्र
B) मूर्तिकला
C) काष्ठ कला
D) शिल्पकला
उत्तर: D) शिल्पकला
मौर्य
साम्राज्य में किसे सबसे बड़ा नौकरशाह माना जाता था?
A) मंत्री
B) सेनापति
C) राज्यपाल
D) सचिव
उत्तर: A) मंत्री
अशोक
के शिलालेखों की संख्या लगभग कितनी है?
A) 10
B) 33
C) 50
D) 100
उत्तर: B) 33
मौर्य
साम्राज्य के पतन के बाद भारत में किस वंश का उदय हुआ?
A) गुप्त वंश
B) शुंग वंश
C) कुषाण वंश
D) मौर्य वंश
उत्तर: B) शुंग वंश


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