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Shev Dharma (शैव धर्म)

Shev Dharma (शैव धर्म)


* भगवान शिव की पूजा करनेवालों को शैव एवं शिव से संबंधित धर्म को शैवधर्म कहा गया है।
* शिवलिंग-उपासना का प्रारंभिक पुरातात्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलता है।
* ऋग्वेद में शिव के लिए 'रुद्र' नामक देवता का उल्लेख है । अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया है।
* लिंग -पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मल्यपुराण में मिलता  है।
* महाभारत के अनुशासन पर्व से भी लिंग-पूजा का वर्णन मिलता है।
* रुद्र के पत्नी के रूप में पार्वती का नाम तैतिरीय आरण्यक में मिलता है।
* शिव की पत्नि की सौम्य रूप है : पद्मा, पार्वती, उमा, गौरी एवं भैरवी।
'* वामन पुराण' में शैव सम्प्रदाय की संख्या चार बतायी गयी है। ये हैं--
1. पाशुपत, 
2. कापालिक, 
3. कालामुख, 
4. लिंगायत

* पाशुपत सम्प्रदाय शैवों का सर्वाधिक प्राचीन सम््रदाय है। इसके संस्थापक सकलीश थे जिन्हें भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता है।
* पाशुपत सम्प्रदाय क अनुयायियों को पंचार्थिक कहा गया है। इस मत का प्रमुख सैद्धान्तिक पाशुपत सूत्र है। श्रीकर  पंडित एक विख्यात पाशुपत आचार्य थे।
* कापालिक सश्प्रदाय के ईष्टदेव भरव थे । इस सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र श्री शैल  नामक स्थान था।
* कालामुख सम्प्रदाय के अनुयायिओं को शिव पुराण में महाव्रतधर कहा गया है। इस सम्प्रदाय के लोग नर- कपाल में ही भोजन, जल तथा सुरापान करते हैं और साथ ही अपने शरीर पर चिता की भस्म मलते हैं।

* लिंगायत सम्प्रदाय दक्षिण में प्रचकित था। इन्हें जंगम भी कहा जाता था। इस सम्प्रदाय के लोग शिव लिंग की उपासना करते थे।
* "शून्य सम्पादने' लिंगायतों का मुख्य धार्मिक ग्रंथ है।
* बसव पुराण में लिंगायत सम्प्रदाय  के प्रवर्तक अल्ल्भ प्रभु तथा उनके शिष्य बासव को बताया गया है। इस सम्रदाय को वीरशिव सम्प्रदाय भी कहा जाता है।
*  10वीं शता्दी में मत्स्येन्द्रनाथ  ने नाथ सम्प्रदाय की स्थापना की। इस सम्प्रदाय का व्यापक प्रचार-प्रसार बाबा गोरखनाथ के समय में हुआ। 
* दक्षिण भारत में शैवधर्म चालुक्य, राष्ट्रकूट, पल्लव  एवं चोलों के समय लोकप्रिय रहा।
*पल्लव  काल में शैव  धर्म का प्रचार प्रसार नायनारों द्वारा किया गया। नायनार सन्तों की संख्या 63 यतायी गयी है जिनमें अप्पार , तिरुज्ञान, सम्बन्दर एवं सुन्दर मूर्ति आदि के नाम उल्खेखनीय हैं।
*  एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूटों ने करवाया।
* चोल शासक राजराज प्रथम ने तंजीर में प्रसिद्ध राजराजेश्वर शैव मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे बृहदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
*  कुषाण  शासकों की मुद्राओं पर शिव एवं नन्दी का एक साथ अंकन प्राप्त होता है।

नोट : पशुपतिनाथ मंदिर: नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गाँव में स्थित एक शिव मंदिर है। नेपाल के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता भगवान पशुपति नाथ का मुख्य निवास माना जाता था। इस मंदिर परिसर को सन 1979 में युनेस्को  विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध  किया गया। मुख्य मंदिर का निर्माण वास्तुकला की नेपाली पैगोडा शैली  में हुआ है।

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