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Bodh Dharma (बौद्ध धर्म)

बौद्ध धर्म


* बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया का ज्योति पुञ्ज (Light of Asia) कहा जाता है।
* बुद्ध के जीवन से संबंधित बोद्ध धर्म के प्रतीक:-
घटना                         प्रतीक
जन्म                           कमल एवं सांड
गृहत्याग                      घोड़ा
ज्ञान                            पीपल (बोधि वृक्ष)
निर्वाण                        पद-चिह्न
मृत्यु                            स्तूप

*  गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था।
*  इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे ।
*  इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी। इनका लालन-पालन इनकी सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था।
* इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
* गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था ।
* सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा-
1. बूढ़ा व्यक्ति, 
2. एक बीमार व्यक्ति,
3. शव एवं 
4. एक संन्यासी।
* सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह-त्याग किया, जिसे बौद्धधर्म में महाभिनिष्कमण कहा गया है।
* गृह-त्याग करने के बाद सिद्धार्थ (बुद्ध) ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की । आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरु हुए ।
* आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रुद्रकरामपुत से शिक्षा प्रहण की।
* उरुवेला में सिद्धार्थ को कौणि्डिन्य, वप्पा , भादिया, महानामा एवं अससागी नामक पाँच साधक मिले  ।
* बिना अन्न जल ग्रहण किए 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फल्पू) नदी के किनारे, पीपल वृक्ष के नीचे, सिदार्थ  को ज्ञान प्राप्त हुआ।
* ज्ञान प्राप्ति के बाद सिदधार्थ बुध के नाम से जाने गए। वह स्थान बोधगया कहलाया।
* बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम्) में दिया, जिसे बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्रपरिवर्तन  कहा गया है।
* बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा पालि में दिए।
*  बुद्ध ने अपने उपदेश कोशल, वैशाली, कौशाम्थी व अन्य राज्यों में दिए, लेकिन सर्वाधिक उपदेश कोशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिए।
* इनके प्रमुख अनुयायी शासक थे-विम्बिसार, प्रसेनजित व उदयिन।
* बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में 483 ईसा पूर्व में कुशीनारा (देवरिया, उत्तर प्रदेश) में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गयी, जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है।
* मल्लों ने अत्यन्त सम्मानपूर्वक बुद्ध का अन्त्येष्टि संस्कार किया।
*  एक अनुश्रुति के अनुसार मृत्यु के बाद बुद्ध के शरीर के अवशेषों को आठ भागों में बाँटकर  उन पर आठ स्तूपों का निर्माण कराया गया।
* बुद्ध के जन्म एवं मृत्यु की तिथि को चीनी परम्परा के कैन्टोन अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है।
* बौद्ध धर्म  के बारे में हमें विशद ज्ञान त्रिपिटक (विनयपिटक, सूत्रपिटक व अभिदम्भपिटक) से प्राप्त होता है। तीनों पिटकों की भाषा पालि है।
* बौद्ध धर्म मूलतः अनिइश्वरवादी  है इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।
*  बौद्धधर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है।
* तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था  को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है।
* "विश्व दुखों से भरा है का सिद्धान्त बुद्ध ने उपनिषद् से लिया।
* बुद्ध के अनुयायी दो भागों में विभाजित थे-
    1. भिकुक : बौद्धधर्म के प्रचार के लिए जिन्होंने संन्यास ग्रहण किया, उन्हें भिशुक कहा गया।
    2. उपासक: गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वालों को उपासक कहा गया।
*बौद्ध संघ में सम्मितित होने के लिए न्यूनतम आयु-सीमा 15 वर्ष थी।
* बौद्धसंघ में प्रविष्टि होने को उपसन्पदा कहा जाता था।
* बौद्धधर्म के त्रिरत्न हैं-बुध, धम्म एवं सघ।

बौद्ध सभाएँ
प्रथम बौद्ध संगीति          483 ई. पूर्व                     राजगृह              महाकश्यप            अजातशत्रु
द्वितीय बौध संगीति         343ई, पूर्व                     वैशाली              सबाकामी               कालाशोक 
तृतीय बौद्ध संगीति         255इ. पूर्व                    पाटकिपुत्र          मोग्गलिपुत्ततिस्स     अशोक
चतुर्थ बौद्ध संगीति          ई. की प्रथम शताब्दी    कुण्डलवन         बसुमित्र/अश्वघोष     कनिष्क
 
* चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्धधर्म दो भागों हीनयान एवं महायान में विभाजित हो गया।
* बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय का आदर्श बोधिसत्व है बोधिसत्य दूसरे के कल्याण को प्राथमिकता देते हतुए अपने निर्वाण में विलम्ब करते हैं।
* हीनयान का आदर्श अर्हत्पद को प्राप्त करना है, जो व्यक्ति अपनी साधना से निर्वाण की प्राप्ति करते हैं उन्हें  ही अर्हत् कहा जाता है। 
* धार्मिक जुलूस का प्रारंभ सबसे पहले बौद्धधर्म के द्वारा प्रारंभ किया गया। बौद्धों का सबसे पवित्र त्योहार वैशाख पुर्णिमा है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसका महत्व इसलिए है कि बुद्ध पूर्णिमा के ही दिन बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण की प्राप्ति हुई।
* बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के सम्बन्ध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया। ये हैं-
 1.दुःख 
2.दुःख समुदाय 
3.दुःख निरोध 
4. दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा।

*  इन संसारिक दुःखों से मुक्ति हेतु, युद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात कही। ये साधन हैं-
1. सम्यक् दृष्टि
 2. सम्यक् संकल्प 
3.सम्यकवाणी  
4. सम्यक् कर्मान्त 
5. सम्यक् आजीव
6. सम्यक् व्यायाम्
7. सम्यक् स्मृति एवं
 8. सम्यक् समाधि

* बुद्ध के अनुसार अष्टांगिक मागों के पालन करने के उपरान्त मनुष्य की भव तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्वाण प्राप्त हो जाता है।
* निर्वाण बौद्ध धर्म  का परम लक्ष्य है, जिसका अर्थ है 'दीपक का बुझ  जाना' अर्थात् जीवन मरण चक्र से मुक्त हो जाना। बुद्ध ने निर्वाण-प्राप्ति को सरल बनाने के लिए निम्न दस शीलों पर बल दिया-
1.अहिंसा, 
2. सत्य, 
3.अस्तेय (चोरी न करना), 
4. अपरिग्रह (किसी प्रकार की सम्पत्ति न रखना), 
5. मद्य-सेवन न करना,
6. असमय भोजन न करना,
7. सुखप्रद विस्तर पर नहीं सोना,
৪. धन-संचय न करना, 
9.स्त्रियों से दूर रहना और 
10. नूत्य-गान आदि से दूर रहना। गृहस्थों के लिए केवल प्रथम पाँच शील तथा भिक्षुओं  के लिए दसों शील मानना अनिवार्य या ।
* बुद्ध ने मध्यम मार्ग (मध्यमा प्रतिपद) का उपदेश दिया।
* अनीश्वरवाद के संबंध में बौद्धधर्म एवं जैनधर्म में समानता है।
* जातक कथाएँ प्रदर्शित करती हैं कि बोधिसत्व का अवतार मनुष्य रूप में भी हो सकता है तथा पशुओं के रूप में भी ।
*  बोधिसत्व के रूप में पुनर्जन्मों की दीर्घ श्रृंखला के अन्तर्गत बुद्ध  ने शाक्य मुनि के रूप में अपना अन्तिम जन्म प्राप्त किया किन्तु इसके उपरान्त मैत्रेय तथा अन्य अनाम बुद्ध अभी अवतरित होने शेष हैं।
*  सर्वाधिक बुद्ध मूर्तियों का निर्माण गन्धयार शैली के अन्तर्गत किया गया लेकिन बुद्ध की प्रथम मूर्ति संभवतः मथुरा कला के अन्तर्गत बनी थी।
*  तिब्वत, भूटान एवं पड़ोसी देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार पद्मसंभव (गुरु रिनपाँच) ने किया। इनका संबंध बौद्ध धर्म के बजरयान शाखा से था। इनकी 123 फीट ऊँची मूर्ति हिमाचल प्रदेश रेवाल सर झील में है

नोट : भारत में उपासना की जाने वाली प्रथम मूर्ति संभवतः बुद्ध की थी।

भारत के महत्वपूर्ण बौद्ध मठ
मठ                                 स्थान                                                          राज्य                        
टाबो मठ                  तबो गाँव (स्पीति घाटी) हिमाचल प्रदेश            हिमाचल प्रदेश
नामग्याल मठ           धर्मशाला                                                      हिमाचल प्रदेश            
हेमिस मठ                लद्दाख                                                         लद्दाख (UT)
थिकसे मठ               लदाख                                                         लद्दाख (UT)
शासुर मठ                लाहुल स्पीति                                                हिमाचल प्रदेश
मिंडालिंग मठ           देहरादून                                                      उत्तराखंड
रूमटेक मठ             गंगटोक                                                      सिक्कम
तवांग मठ                 अरुणाचल प्रदेश                                         अरुणाचल प्रदेश
नामडांलिंग मठ         मैसूर                                                          कर्नाटक
बोधिमंडा मठ            बोधगया                                                     बिहार

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  सिन्धु सभ्यता 3.  सिन्धु सभ्यता     रेडियोकार्थन C4 जैी नवीन विश्वेषण-पदधति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है। इसका विस्तार त्रिभुजाकार है। * सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की । * सिन्धु सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक (Potohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा सकता है । इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। * सर जान मार्शल (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 ई. में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की। * सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्र.), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मॉँदा (जम्मू-कश्मीर) व दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)। * सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्कव  अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 क

लॉर्ड कॉर्नवालिस , Lord Cornwallis

लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore)

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore) > 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। > हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हो गयी। > हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टापू सुल्तान हुआ। > 1787 ई. में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'पादशाह' की उपाधि धारण की। > टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टेनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना। प्रमुख युद्ध वर्ष गवर्नर जनरल प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 - 69 ई. - द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 - 84 ई वारेन हेर्स्टिंग्स तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1790 - 92 ई. कार्नवालिस चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. लॉर्ड वेलेजली > इस युद्ध में मराठा, हैदराबाद के निजाम एवं अंग्रेजों की संयुक्त सेना मैसूर के खिलाफ लड़ रही थी । > टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आँग्ल-मैसूर युद्ध के

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

  मराठों का उत्कर्ष (Marathas high) > मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था > शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। > शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था । > शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था। > शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।  > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे। > शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली। > अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। > 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। > शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी > बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा। > शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी। > शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा । &g

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता)

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता) *  वैदिककाल  का विभाजन दो भागों 1. ऋग्वेदिक  काल 1500-1000 ई. पू. और 2, उत्तर वैदिककाल-1000-600 ई. पू. में किया गया है। *  आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई। यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आयों की भाषा संस्कृत थी। नोट : आर्य शब्द भाषा-समूह को इंगित करता है। * आयों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बाँटा था-कुल, ग्राम, विश  जन, राष्ट्र। ग्राम  के मुखिया ग्रामिणी, विशू का प्रधान विशपति एवं जन के शासक राजन कहलाते थे। * राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे। वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे। *  सूत, रथकार व कम्मादी  नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे। इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हज़ार  हुआ  करती थी। * पुरप - दुर्गपति एवं  स्पर्श- जनता की गतिविधियों को देखने  वाले गुप्तचर होते थे  * वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था।  * उग्र- अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था। नोट

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी