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सीमावर्त्ती राजवंशों का अभ्युदय (Emergence of borderlands dynasties)

सीमावर्त्ती राजवंशों का अभ्युदय (Emergence of borderlands dynasties)

पालवंश
> पालवंश का संस्थापक गोपाल (750 ई.) था। इस वंश की राजधानी मुंगेर थी ।
> गोपाल बौद्ध धर्म का अनुयायी था । इसने ओदन्तपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
> पालवंश के प्रमुख शासक थे-धर्मपाल, देवपाल, नारायणपाल, महिपाल, नयपाल आदि ।
> पालवंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था जिसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
> कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष पालवंश, गुर्जर प्रतिहार वंश एवं राष्ट्रकूट वंश के बीच हुआ। इसमें पालवंश की ओर से सर्वप्रथम धर्मपाल शामिल हुआ था।
> ग्यारहवीं सदी के गुजराती कवि सोड्ठल ने धर्मपाल को 'उत्तरापथ स्वामी' की उपाधि से संबोधित किया है।
 > सोमपुर महाविहार का निर्माण धर्मपाल ने करवाया था।
> ओदन्तपुरी (बिहार) के प्रसिद्ध बौद्धमठ का निर्माण देवपाल ने करवाया था।
> जावा के शैलेन्द्रवंशी शासक बालपुत्र देव के अनुरोध पर देवपाल ने उसे नालंदा में एक बौद्धविहार बनवाने के लिए पाँच गाँव दान में दिए थे।
> गौड़ीरीति नामक साहित्यिक विद्या का विकास पाल शासकों के समय में हुआ।
> पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।

सेनवंश
> सेनवंश की स्थापना सामन्त सेन ने राढ़ में की थी।
> इसकी राजधानी नदिया (लखनौती) थी।
> सेनवंश के प्रमुख शासक विजयसेन, बल्लाल सेन एवं लक्ष्मण सेन थे।
> सेनवंश का प्रथम स्वतंत्र शासक विजयसेन था, जो शैवधर्म का अनुयायी था।
> दानसागर एवं अद्भुत सागर नामक ग्रंथ की रचना सेन शासक बल्लालसेन ने की थी। अद्भुत सागर को लक्ष्मण सेन ने पूर्णरूप दिया था ।
> लक्ष्मण सेन की राज्यसभा में गीतगोविन्द के लेखक जयदेव, पवनदूत के लेखक धोयी एवं ब्राह्मणसर्वस्व के लेखक हलायुद्ध रहते थे।
> हलायुद्ध लक्ष्मण सेन का प्रधान न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री था ।
> विजयसेन ने देवपाड़ा में प्रद्युम्नेश्वर मंदिर (शिव की विशाल मंदिर) की स्थापना की ।
> सेन राजवंश प्रथम राजवंश था, जिसने अपना अभिलेख सर्वप्रथम तिहिन्दी में उत्कीर्ण करवाया ।
> लक्ष्मण सेन बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक था।

कश्मीर के राजवंश
> कश्मीर पर शासन करनेवाले शासक वंश कालक्रम से इस प्रकार थे-कार्कोट वंश, उत्पल वंश, लोहार वंश ।
> 627 ई. में दुर्लभवर्द्धन नामक व्यक्ति ने कश्मीर में कार्कोट वंश (हिंदू वंश) की स्थापना की थी। ह्वेनसांग ने उसके शासनकाल में कश्मीर की यात्रा की ।
> कार्कोट वंश का सबसे शक्तिशाली राजा ललितादित्य मुक्तापीड था।
> कश्मीर का मार्त्तण्ड-मंदिर का निर्माण ललितादित्य मुक्तापीड के लतदमातर द्वारा करवाया गया था।
> कार्कोट वंश के बाद कश्मीर पर उत्पल वश का शासन हुआ। इस वंश का संस्थापक अवन्तिवर्मन था । अवन्तिपुर नामक नगर की स्थापना अवन्तिवर्मन ने की थी ।
> अवन्तिवर्मन के अभियन्ता सूर्य ने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
> 980 ई. में उत्पलवंश की रानी दिद्दा एक महत्वाकांक्षिणी शासिका हुई। उत्पल वंश के बाद कश्मीर पर लोहारवश का शासन हुआ।
> लोहारवंश का संस्थापक संग्रामराज था। संग्रामराज के बाद अनन्त राजा हुआ। इसकी पत्नी सूर्यमती ने प्रशासन को सुधारने में उसकी सहायता की ।
> लोहार वंश का शासक हर्ष विद्वान, कवि तथा कई भाषाओं का ज्ञाता था ।
कल्हण हर्ष का आश्रित कवि था ।
> जयसिंह लोहार वंश का अन्तिम शासक था, जिसने 1128 ई. से 1155 ई. तक शासन किया। जयसिंह के शासन के साथ ही कल्हण की राजतरगणा का विवरण समाप्त हो जाता है ।

कामरूप का वर्मन वंश
> चौथी शताब्दी के मध्य कामरूप में वर्मनवंश का उदय हुआ। इस वंश की प्रतिष्ठा का संस्थापक पुष्यवर्मन था। इसकी राजधानी प्रागज्योतिष नामक स्थान पर थी।

> कालान्तर में कामरूप पाल साम्राज्य का एक अग बन गया।

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