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चालुक्य बंश ( Chalukya Bansh)

 
चालुक्य बंश ( Chalukya Bansh)

चालुक्य बंश (कल्याणी) 
कल्याणी के चालुक्य वश की स्थापना तैलप-II ने की थी।

(राजधानी-मान्यखेट)
> चालुक्य वंश (कल्याणी) के प्रमुख शासक हुए-तैलप प्रथम, तैलप द्वितीय, विक्रमादित्य, जयसिंह, सोमेश्वर, सोमेश्वर-II, विक्रमादित्य-VI, सोमेश्वर-III एवं तैलप-II |
> सोमेश्वर प्रथम ने मान्यखेट से राजधानी हटाकर कल्याणी (कर्नाटक) को बनाया।
> इस वंश का सबसे प्रतापी शासक विक्रमादित्य-VI था ।
> विल्हण एवं विज्ञानेश्वर विक्रमादित्य-VI के दरबार में ही रहते थे ।
> मिताक्षरा (हिन्दू विधि ग्रंथ, याज्ञवल्क्य स्मृति पर व्याख्या) नामक ग्रंथ की रचना महान विधिवेत्ता विज्ञानेश्वर ने की थी।
> विक्रमांकदेवचरित की रचना विल्हण ने की थी । इसमें विक्रमादित्य-VI के जीवन पर प्रकाश डाला गया है।

चालुक्य वंश (वातापी)
> जयसिंह ने वातापी के चालुक्य वंश की स्थापना की, जिसकी राजधानी वातापी (बीजापुर के निकट) थी। इस वंश के प्रमुख शासक थे-पुलकेशिन प्रथम, कीर्तिवर्मन, पुलकेशिन-II, विक्रमादित्य, विनयादित्य एवं विजयादित्य । इनमें सबसे प्रतापी राजा पुलकेशिन-II था।
> महाकूट स्तम्भ लेख से प्रमाणित होता है कि पुलकेशिन- II बहु सुवर्ण एवं अग्निष्टोम यज्ञ सम्पन्न करवाया था। जिनेन्द्र का मेगुती मंदिर पुलकेशिन-II ने बनवाया था।
> पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को हराकर परमेश्वर की उपाधि धारण की थी। इसने 'दक्षिणापथेश्वर' की उपाधि भी धारण की थी ।
> पल्लववंशी शासक नरसिंह वर्मन प्रथम ने पुलकेशिन-II को लगभग 642 ई. में परास्त किया और उसकी राजधानी बादामी पर अधिकार कर लिया। संभवतः इसी युद्ध में पुलकेशिन- II मारा गया। इसी विजय के बाद नरसिंहवर्मन ने 'वातापिकोड' की उपाधि धारण की।
> एहोल अभिलेख का संबंध पुलकेशिन-II से है । (लेखक-रविकीर्ति)
> अजन्ता के एक गुहाचित्र में फारसी दूत-मंडल को स्वागत करते हुए पुलकेशिन-II को दिखाया गया है ।
> वातापी का निर्माणकरत्त्ता कीर्तिवर्मन को माना जाता है । मालवा को जीतने के बाद विनयादित्य ने सकलोत्तरपथनाथ की उपाधि धारण की।
> विक्रमादित्य-II के शासनकाल में ही दक्कन में अरबों ने आक्रमण किया। इस आक्रमण का मुकाबला विक्रमादित्य के भतीजा पुलकेशी ने किया। इस अभियान की सफलता पर विक्रमादित्य-II ने इसे अवनिजनाश्रय की उपाधि प्रदान की ।
> विक्रमादित्य-II की प्रथम पत्नी लोकमहादेवी ने पट्दकल में विरूपाक्षमहादेव मंदिर तथा उसकी दूसरी पत्नी क्रैलोक्य देवी ने त्रैलोकेश्वर मंदिर का निर्माण करवायी।
> इस वंश का अंतिम राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय था । इसे इसके सामंत दन्तिदुर्ग ने परास्त कर एक नये वंश (राष्ट्रकूट वंश) की स्थापना की।
> एहोल को मंदिरों का शहर कहा जाता है।

चालुक्य बंश (बेंगी)
> बेंगी के चालुक्य वंश का संस्थापक विष्णुवर्धन था । इसकी राजधानी बेंगी (आन्ध्र प्रदेश) में थी ।
> इस वंश के प्रमुख शासक थे : जयसिंह प्रथम, इन्द्रवर्धन, विष्णुवर्धन द्वितीय, जयसिंह द्वितीय एवं विष्णुवर्धन-III.
इस वंश के सबसे प्रतापी राजा विजयादित्य तृतीय था, जिसका सेनापति पंडरंग था ।


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