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मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

 

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)


> मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था
> शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था।
> शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था ।
> शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था।
> शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।
 > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे।
> शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली।
> अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया।
> 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया।
> शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी
> बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा।
> शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी।
> शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा ।
> पुरन्दर की संधि 1665 ई. में महाराजा जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य सम्पन्न हुई।
> 1672 ई. में शिवाजी ने पन्हाला दुर्ग को बीजापुर से छीना ।
> 5 जून, 1674 ई. को शिवाजी ने रायगढ़ में वाराणसी (काशी) के प्रसिद्ध विद्वान श्री गंगाभट्ट द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया।
> मूल रूप से गंगाभट्ट महाराष्ट्र का एक सम्मानित ब्राह्मण था, जो लंबे समय से वाराणसी में रह रहा था।
> शिवाजी को औरंगजेब ने मई, 1666 ई. में जयपुर भवन में कैद कर लिया, जहाँ से वे 16 अगस्त, 1666 ई. में भाग निकले।
> मात्र 53 वर्ष की आयु में 3 अप्रैड, 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गयी।
> शिवाजी के मंत्रीमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था। अष्टप्रधान में पेशवा का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सम्मान का होता था ।
> शिवाजी ने दरबार में मराठी को भाषा के रूप में प्रयोग किया।
> शिवाजी की सेना तीन महत्वपूर्ण भागों में विभक्त थी-
1. पागा सेना : नियमित घुड़सवार सैनिक।
2. सिलहदार : अस्थायी धुड़सवार सैनिक।
3. पैदल : पैदल सेना।
> शिवाजी को तोपें अग्रेंजों ने प्रदान की थी।

महाराष्ट्र के प्रमुख संत
1. ज्ञानदेव या ज्ञानेश्वर (1275-1296ई.) : महाराष्ट्र में भक्ति आदोलन  के जनक, मराठी भाषा और साहित्य के संस्थापक, भगवतूगीता पर भावार्थदीपिका नामक बृहत टीका लिखी, जिसे सामान्य रूप से ज्ञानेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
2. नामदेव (1270-1350 ई.) इनके आराध्य देव पंढरपुर के बिठोबा या विट्ठल (विष्णु के रूप) थे बिठोबा या विट्ठल की उपासना को वरकरी संप्रदाय के नाम से जाना जाता है, जिसकी स्थापना नामदेव ने की थी। इनमें कुछ पद गुरुग्रन्थ साहिब में संकलित है ।
३. एकनाथ (1533-1599 ई.) : इन्होंने रामायण पर भावार्थ रामायण नामक टीका लिखी।
.4.  तुकाराम (1598-1650 ई.): इन्होंने भक्तिपरक कविताएँ लिखी जिन्हें अभंग कहा जाता है। ये अभंग भक्तिपरक काव्य के ज्योतिपुंज है।
5. रामदास (1608-1681 ई.): महाराष्ट्र के अंतिम महान संत कवि। दशबोध उनकी रचनाओं और उपदेशों का संकलन है ।
> मराठा राज्य के अंतर्गत दो प्रकार के क्षेत्र होते थे-
1. स्वराज : जो क्षेत्र प्रत्यक्षतः मराठों के नियंत्रण में थे, उन्हें स्वराज क्षेत्र कहा जाता था।
2. मुघतई (मुल्क-ए-कदीम) : यह वह क्षेत्र था जिसमें वे चौथ एवं सरदेशमुखी वसूल करते थे।
नोट : चौथ एवं सरदेशमुखी स्वराज से नहीं लिए जाते थे बल्कि उन जगहों से लिए जाते थे जहाँ मुगल या दक्कनी राजाओं का शासन था। चौथ भूराजस्व का एक चौथाई था जो मराठों के उस क्षेत्र पर आक्रमण नहीं करने के लिए दिया जाता था। सरदेशमुखी 10% का अतिरिक्त अधिभार था जो उस क्षेत्र से लिया जाता था जो मुगलों के अधीन था पर मराठा उस पर दावा करते थे।
> सरंजामी प्रथा का संबंध मराठा भूराजस्व व्यवस्था से है।

अष्टप्रधान
पेशवा (प्रधानमंत्री):-  राज्य का प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था की देख-रेख
सरी-ए-नौबत (सेनापति):-  सैन्य प्रधान
अमात्य (राजस्व मंत्री):-  आय-व्यय का लेखा-जोखा
वाकयानवीस: सूचना, गुप्तचर एवं संधि-विग्रह के विभागों का अध्यक्ष
चिटनिस:- राजकीय पत्रों को पढ़कर उसकी भाषा-शैली को देखना ।
सुमन्त :- विदेश मंत्री
 पंडित राव:- धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का निर्धारण
न्यायाधीश:- न्याय विभाग का प्रधान
> शिवाजी की कर-व्यवस्था मलिक अम्बर की कर-व्यवस्था परआधारित थी। शिवाजी ने रस्सी द्वारा माप की व्यवस्था के स्थान पर काठी एवं मानक छड़ी के प्रयोग को आरंभ किया शिवाजी ने 1679 में अन्नाजी दत्तो द्वारा व्यापक भूमि सर्वेक्षण करवाया ।
> शिवाजी के समय कुल उपज का 33% भाग राजस्व के रूप में वसूला जाता था, जो बढ़ कर 40% हो गया था।
> शिवाजी ने मुगल व्यापारिक केन्द्र सूरत को दो बार (1664 एवं  1670 ई.) में लूटा ।
> शिवाजी का उत्तराधिकारी शम्भाजी था । शम्भाजी ने उज्जैन के हिन्दी एवं संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान कवि कलश को अपना सलाहकार नियुंक्त किया।
> मार्च, 1689 ई. को मुगल सेनापति मखर्रब खाँ ने संगमेश्वर में छिपे हुए शम्भाजी एवं कवि कलश को गिरफ्तार कर लिया और उसकी हत्या कर दी।
> शम्भाजी के बाद 1689 ई. में राजाराम को नए छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक किया गया
> राजाराम ने अपनी दूसरी राजधानी सतारा को बनाया ।
> शिवाजी के किले की सुरक्षा के लिए नियुक्तअधिकारी 
हवलदार किले की आंतरिक व्यवस्था की देख रेख ।
सरेनौबत किले की सेना का नेतृत्व ।
सर्वनिस किले की अर्थव्यवस्था, पत्र-व्यवहार एवं भंडार की देख-रेख ।
> राजाराम मुगलों से संघर्ष करता हुआ 2 मार्च, 1700 में मारा गया।
> राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई अपने 4 वर्षीय पुत्र शिवाजी-II का राज्याभिषेक करवाकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बन गई ।
> 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद शम्भाजी के पुत्र साहू (जो औरंगजेब के कब्जे में था) भोपाल के निकट के मुगल शिविर से वापस महाराष्ट्र आया।
> साहू एवं ताराबाई के बीच 1707 ई. में खेड़ा का युद्ध हुआ, जिसमें साहू विजयी हुआ।
> साहू ने 22 जनवरी, 1708 ई. को सतारा में अपना राज्याभिषेक करवाया।
> साहू के नेतृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्त्तक पेशवा लोग थे, जो साहू के पैतृक प्रधानमंत्री थे । पेशवा पद पहले पेशवा के साथ ही वंशानुगत हो गया था। पेशवा पुणे में रहता था।
> 1713 ई. में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया। इनकी मृत्यु 1720 ई. में हुई। इसके बाद पेशवा बाजीराव प्रथम हुए।
> पेशवा बाजीराव प्रथम ने मुगल साम्राज्य की कमजोर हो रही स्थिति का फायदा उठाने के लिए साहू को उत्साहित करते हुए कहा कि आओ, हम इस पुराने वृक्ष के खोखले तने पर प्रहार करें, शाखाएँ तो स्वयं गिर जायेगी, हमारे प्रयत्नों से मराठा पताका कृष्णा नदी से अटक तक फहराने लगेगी। उत्तर में रूप से ही आप इसे हिमालय के पार गाड़ देंगे निःसन्देह आप योग्य पिता के योग्य साहू ने कहा-निश्चित पुत्र हैं।
> पालखेड़ा का युद्ध 7 मार्च, 1728 ई. बाजीराव प्रथम एवं निजामुल मुल्क के बीच हुआ जिसमें निजाम की हार हुई।
निजाम के साथ मुंगी शिवागांव की संधि हुई।
> दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था, जिसने 29 मार्च, 1737 को दिल्ली पर धावा बोला
था। उस समय मुगल बादशाह मुहम्मदशाह दिल्ली छोड़ने के लिए तैयार हो गया था।
> बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण चर्चित रहा था।
> 1740 ई. में बाजीराव प्रथम की मृत्यु हो गयी।
> बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव 1740 ई. में पेशवा बना ।
> 1750 ई. में संगोला संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए।
> बालाजी बाजीराव को नाना साहब के नाम से भी जाना जाता था ।
> झलकी की संधि हैदराबाद के निजाम एवं बालाजी बाजीराव के मध्य हुई।
> बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध (14 जनवरी, 1761) हुआ, जिसमें मराठों की हार हुई। इस हार को नहीं सह पाने के कारण बालाजी की मृत्यु 1761 ई. में हो गयी।
> माधवराव नारायण प्रथम 1761 ई. में पेशवा बना। इसने मराठों की खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया।
> माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर रह रहे मुगल बादशाह शाह आलम-II को पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठाया।
> मुगल बादशाह अब मराठों का पेंशनभोगी बन गया ।
> पेशवा नारायण राव (1772-73 ई.) की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई।
> पेशवा माधवराव नारायण-II की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देख रेख बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद् करती थी। इस परिषद् के दो महत्वपूर्ण सदस्य थे-महादजी सिंधिया एवं नाना फड़नबीस । नाना फड़नबीस का मूल नाम बालाजी जनार्दन भानु था। अंग्रेज जेम्स ग्रांट डफ ने इन्हें मराठों का मैकियावेली कहा था।
> अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव-II था, जो अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बना था। मराठों के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था। यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था।
> 1776 ई. में पुरन्दर की संधि हुई। इसके तहत कंपनी ने रघुनाथ राव के समर्थन को वापस ले लिया।
> प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध : प्रथम युद्ध 1782 ई. में सालबाई संधि के साथ खत्म हुआ।
> द्वितीय आँग्ल-मराठा युद्ध : 1803-05 ई. में हुआ। इसमें भोंसले (नागपुर) ने अंग्रेजों को चुनौती दी। इसके फलस्वरूप 7 सितम्बर, 1803 ई. को देवगाँव की संधि हुई।
> तृतीय आँग्ल-मराठा युद्ध 1817-19 ई. में हुआ। इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति और पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया गया।
> पेशवा बाजीराव-II ने कोरेगाँव एवं अष्टी के युद्ध में हारने के बाद फरवरी, 1818 ई. में मेल्कम के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया।
> अंग्रेजों ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव-II को पूणे से हटाकर कानपुर के निकट बिठूर में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में इसकी मृत्यु हो गयी।
 

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मुगल साम्राज्य (बाबर ) ,Mughal Empire (Babur )

मुगल साम्राज्य (बाबर (1526 - 1530 ई.) ,Mughal Empire (Babur (1526 - 1530 AD) मुगल वंश का संस्थापक बाबर था। बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे। बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था। बाबर (1526 - 1530 ई.) > बाबर का जन्म फरवरी, 1483 ई. में हुआ था। इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई. में बैठा । > बाबर ने 1507 ई. में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी। बाबर के चार पुत्र थे-हुमायूँ, कामरान, असकरी तथा हिंदाल । > बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया। बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई.  में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था। इस अभियान में बाबर ने बाजीर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया। > पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था । उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था।

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore)

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore) > 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। > हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हो गयी। > हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टापू सुल्तान हुआ। > 1787 ई. में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'पादशाह' की उपाधि धारण की। > टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टेनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना। प्रमुख युद्ध वर्ष गवर्नर जनरल प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 - 69 ई. - द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 - 84 ई वारेन हेर्स्टिंग्स तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1790 - 92 ई. कार्नवालिस चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. लॉर्ड वेलेजली > इस युद्ध में मराठा, हैदराबाद के निजाम एवं अंग्रेजों की संयुक्त सेना मैसूर के खिलाफ लड़ रही थी । > टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आँग्ल-मैसूर युद्ध के

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  सिन्धु सभ्यता 3.  सिन्धु सभ्यता     रेडियोकार्थन C4 जैी नवीन विश्वेषण-पदधति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है। इसका विस्तार त्रिभुजाकार है। * सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की । * सिन्धु सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक (Potohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा सकता है । इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। * सर जान मार्शल (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 ई. में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की। * सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्र.), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मॉँदा (जम्मू-कश्मीर) व दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)। * सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्कव  अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 क

लॉर्ड कॉर्नवालिस , Lord Cornwallis

लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore)

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore) > 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। > हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हो गयी। > हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टापू सुल्तान हुआ। > 1787 ई. में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'पादशाह' की उपाधि धारण की। > टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टेनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना। प्रमुख युद्ध वर्ष गवर्नर जनरल प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 - 69 ई. - द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 - 84 ई वारेन हेर्स्टिंग्स तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1790 - 92 ई. कार्नवालिस चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. लॉर्ड वेलेजली > इस युद्ध में मराठा, हैदराबाद के निजाम एवं अंग्रेजों की संयुक्त सेना मैसूर के खिलाफ लड़ रही थी । > टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आँग्ल-मैसूर युद्ध के

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता)

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता) *  वैदिककाल  का विभाजन दो भागों 1. ऋग्वेदिक  काल 1500-1000 ई. पू. और 2, उत्तर वैदिककाल-1000-600 ई. पू. में किया गया है। *  आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई। यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आयों की भाषा संस्कृत थी। नोट : आर्य शब्द भाषा-समूह को इंगित करता है। * आयों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बाँटा था-कुल, ग्राम, विश  जन, राष्ट्र। ग्राम  के मुखिया ग्रामिणी, विशू का प्रधान विशपति एवं जन के शासक राजन कहलाते थे। * राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे। वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे। *  सूत, रथकार व कम्मादी  नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे। इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हज़ार  हुआ  करती थी। * पुरप - दुर्गपति एवं  स्पर्श- जनता की गतिविधियों को देखने  वाले गुप्तचर होते थे  * वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था।  * उग्र- अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था। नोट

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी

Bodh Dharma (बौद्ध धर्म)

बौद्ध धर्म * बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया का ज्योति पुञ्ज (Light of Asia) कहा जाता है। * बुद्ध के जीवन से संबंधित बोद्ध धर्म के प्रतीक:- घटना                         प्रतीक जन्म                                  कमल एवं सांड गृहत्याग                      घोड़ा ज्ञान                                    पीपल (बोधि वृक्ष) निर्वाण                               पद-चिह्न मृत्यु                                    स्तूप *  गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। *  इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे । *  इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी। इनका लालन-पालन इनकी सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था। *   इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। * गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था । * सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा- 1. बूढ़ा व्यक्ति,  2. एक बीमार व्यक्ति, 3. शव एवं  4. एक संन्यासी। * सांसारिक समस्याओं से व्य