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लॉर्ड रिपन , Lord Ripon

लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई.) Lord Ripon (1880–1884 AD)


> प्रधानमंत्री ग्लैडस्टोन के परामर्श पर रिपन ने सर्वप्रथम समाचारपत्रों की स्वतंत्रता को बहाल करते हुए सन् 1882 ई. में वन्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया और भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों को भी वही सुविधाएँ दी गई जो अन्य समाचार-पत्रों को प्राप्त थी।
> इसने सिविल सेवा में प्रवेश की अधिकतम आयु सीमा को 19 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया।
> इसने स्थानीय स्वशासन की शुरुआत की। 18 मई, 1882 को स्थानीय स्वशासन संबंधी एक कानून बनाया जिसके आधार पर विभिन्न प्रांतों में 1883 से 1885 के मध्य स्थानीय स्वशासन सम्बन्धी कानून बनाए गये।
> इसके समय में ही भारत में सन् 1881 ई. में सर्वप्रथम नियमित जनगणना करवायी गयी। तब से लेकर अब तक प्रत्येक 10 वर्ष के अन्तराल पर जनगणना की जाती है। 1881 की जनगणना में हैदराबाद और राजपूताने को नहीं जोड़ा गया था ।
नोट : भारत में पहली बार जनगणना सन् 1872 ई. में हुई, परन्तु इसमें भारत के सम्पूर्ण भागों का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। लगभग 20% भारत का भाग इसमें छूट गया।
> रिपन के द्वारा ही सन् 1881 ई. में प्रथम कारखाना अधिनियम लाया गया। इसमें 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और 7 से 12 वर्ष के श्रमिकों के लिए 9 घंटे से अधिक कार्य कराया जाना प्रतिबंधित कर दिया गया ।
> यह एक्ट चाय, कॉफी एवं नील की खेती पर लागू नहीं थी।
> रिपन के समय में शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत विलियम हण्टर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया।
> 2 फरवरी, 1883 को यूरोपियों के विरुद्ध भारतीय न्यायाधीशों द्वारा मुकदमे की सुनवाई के लिए इल्बर्ट विधेयक प्रस्तुत किया गया, लेकिन यूरोपवासियों के प्रबल विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। अंग्रेजों द्वारा इस विधेयक के विरोध में किए विद्रोह को श्वेत विद्रोह के नाम से जाना जाता है ।
> फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने रिपन को 'भारत के उद्धारक' की संज्ञा दी।

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