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अकबर, Akbar

 
अकबर (1556 - 1605 ई.) Akbar (1556 - 1605 AD)


अकबर के समकालीन शासक

रानी एलिजाबेथ

1558-1603 ई.

इंग्लैंड

शाह अब्बास

1588-1629 ई.

ईरान

जार ईवान IV बेसिलयेविच

1530-1584 ई.

रूस

* जार ईवान IV बेसिलयेविच ईवान दि टेरिबल नाम से कुख्यात था।


> सम्राट् अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई. को हमीदा बानू बेगम के गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ।
> अकबर के बचपन का नाम जलाल था। उसका राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1556 ई. को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ।
> अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था ।
> वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा।
> बैरम खाँ (शिया मतावलम्बी) 1556 से 1560 ई. तक अकबर का संरक्षक रहा। वह बदख्शाँ का निवासी था । उसे प्यार से 'खानी- बाबा' कहा जाता था।
> पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर, 1556 ई. को अकबर और हेमू के बीच हुई थी। इस युद्ध में अकबर की विजय हुई थी।
> 31 जनवरी, 1561 को मक्का की तीर्थ-यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ की हत्या कर दी।
> मई, 1562 में अकबर ने हरम-दल से अपने को पूर्णतः मुक्त कर लिया।
> हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून, 1576 ई. को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ। इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ। इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आसफ खाँ ने किया था। अकबर का सेनापति मान सिंह था।
> हल्दीघाटी युद्ध के समय कुम्भलगढ़ राणा प्रताप का राजधानी थी । राणा की ओर से इस युद्ध में हाकिम खॉ सूर के नेतृत्व में एक अफ़गान फौजी टुकड़ी एवं भीलों की एक छोटी सी सेना ने भाग लिया था।
> महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी, 1597 ई. में एक सख्त धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते समय अन्दरुनी चोट लग जाने के कारण हो गयी। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद राणा प्रताप ने डुंगरपुर के निकट चावड़ में नई राजधानी बनाई।
> दीन-ए-इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था।
> दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अन्तिम हिन्दू शासक राजा बीरबल था । महेशदास नामक ब्राह्मण को राजा बीरबल की पदवी दी गयी थी जो हमेशा अकबर के साथ रहता था।
> अकबर ने जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरु की उपाधि प्रदान की थी।
> अकबर ने शाही दरबार में एक अनुष्ठान के रूप में सूर्योपासना शुरू करवाई।
> राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी।
> अकबर के दीवान राजा टोडरमल (खत्री जाति) ने 1580 ई. में दहसाल बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की।

अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश

प्रदेश

शासक

वर्ष

मुगल सेनापति

मालवा

बाज बहादुर

1561

आधम खाँ, पीर मुहम्मद

चुनार

अफगानों का शासन

1562

अब्दुल्ला खाँ

गोंडवाना

वीरनारायण एवं दुर्गावती

1564

आसफ खाँ

आमेर

भारमल

1562

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

मेड़ता

जयमल

1562

सरफुद्दीन

मेवाड़

उदय सिंह एवं

 राणा प्रताप

1568

1576

स्वयं अकबर

मान सिंह एवं आसफ खाँ

रणथम्भौर

सुरजनहाड़ा

1569

भगवान दास एवं अकबर

कालिंजर

रामचन्द्र

1569

मजनू खाँ काकशाह

मारबाड़

राव चन्द्रसेन

1569

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

जैसलमेर

रावल हरिराय

1570

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

बीकानेर

कल्याणमल

1570

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

गुजरात

मुजफ्फर खाँ-III

1971

सम्राट् अकबर

बिहार व बंगाल

दाउद खाँ

1574-76

मुनीम खाँ खानखाना

काबुल

हकीम मिर्जा

1581

मानसिंह एवं अकबर

कश्मीर

युसुफ याकूब खाँ

1586

भगवान दास व कासिम खाँ

उड़ीसा

निसार खाँ

1592

मान सिंह

सिन्ध

जानी बेग

1593

अब्दुर्रहीम खानखाना

बलूचिस्तान

पन्नी अफगान

1595

मीर मासूम

कन्थार

मुजफ्फर हुसैन

1595

शाह बेग

दक्षिण भारत

खानदेश

अली खाँ

1591

स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी

दीलताबाद

चाँद बीबी

1599

मुराद, अब्दुर्रहीम खानखाना, अबुल फजल, अकबर

अहमदनगर

बहादुर शाह चाँद बीबी

1600

 

असौरगढ़

भीरन बहादुर

1601

अकबर (यह अकबर का अंतिम अभियान था)


> अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था ।
> गुजरात-विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्त्तगालियों से मिला और यहीं उसने सर्वप्रथम समुद्र को देखा ।
नोट : गुजरात अभियान को इतिहासकार स्मिथ ने संसार के इतिहास का सर्वाधिक द्ुतगामी आक्रमण कहा है।

अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य

कार्य

वर्ष

दासप्रथा का अन्त

1562

अकबर को हरमदल से मुक्ति

1562

तीर्थयात्रा कर समाप्त

1563

जजिया-कर समाप्त

1564

फतेहपुरसीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरा से
फतेहपुर सीकरी स्थानान्तरण

1571

इबादतखाने की स्थापना

1575

इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति

1578

मजहर की घोषणा

1579

दीन-ए-इलाही की स्थापना

1582

इलाही संवत् की शुरुआत

1583

राजधानी लाहौर स्थानांतरित

1585


> अकबर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुर समद था।
> दसवंत एवं बसावन अकबर के दरबार के चित्रकार थे।
> अकबर के शासनकाल के प्रमुख गायक तानसेन, बाज बहादुरबाबा रामदास एवं बैजू बाबरा थे।
> अकबर की शासन-प्रणाली की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी।
> अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सूफी सन्त शेख सलीम चिश्ती थे ।
> अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1605 ई. को हुई। इसे आगरा के निकट सिकन्दरा में दफनाया गया।
> स्थापत्यकला के क्षेत्र में अकबर की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं-दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा, आगरा का लालकिला, फतेहपुर सीकरी में शाहीमहल, दीवाने खास, पंचमहल, बुलंद दरवाजा, जोधाबाई का महल, इबादतखाना, इलाहाबाद का किला और लाहौर का किला।
> अकबर के दरबार को सुशोभित करने वाले नौ रत्न थे-1. अबुल फजल (1551-1602), 2. फैजी (1547-1595), 3. तानसेन, 4.बीरबल (1528-1583),5.टोडरमल, 6. राजा मान सिंह, 7. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, 8. फकीर अज़ीउद्दीन, 9. मुल्ला दो प्याज़ा।
> अबुल-फजल का बड़ा भाई फैजी अकबर के दरबार में राजकवि के पद पर आसीन था।
> अबुल-फजल ने अकबरनामा ग्रंथ की रचना की । वह दीन-ए-इलाही धर्म का मुख्य पुरोहित था ।
> संगीत सम्राट् तानसेन का जन्म 1506 ई. में ग्वालियर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनका असली नाम रामतनु पांडेय था। इनकी प्रमुख कृतियाँ थीं-मियाँ की टोड़ी, मियाँ का मल्हार, मियाँ का सारंग, दरबारी कान्हरा आदि ।
> कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी थी।
> तानसेन, अकबर के दरबार में आने से पूर्व रीवाँ के राजा रामचन्द्र के राजाश्रय में थे।
> अकबर के काल में स्वामी हरिदास भी एक महान संगीतज्ञ थे । ये वृंदावन में रहकर भगवान की उपासना करते थे । एक मत के अनुसार हरिदास तानसेन के गुरु थे जबकि कुछ विद्वान हरिदास एवं तानसेन दोनों को मानसिंह तोमर का शिष्य बतलाते हैं। यह भी प्रचलित है कि हरिदास का गाना सुनने के लिए अकबर को इनकी कुटिया पर जाना पड़ा, क्योंकि इन्होंने अकबर के दरबार में जाने से मना कर दिया था। इनका कहना था कि वे केवल अपने भगवान के लिए ही गाते हैं, दरबार से उनका कोई सरोकार नहीं ।
>  कबर ने भगवान दास (आमेर के राजा भारमल के पुत्र ) को अमीर-ऊल-ऊमरा की उपाधि दी।
> युसुफजाइयों के विद्रोह को दबाने के दौरान बीरबल की हत्या हो गयी।
> 1602 ई. में सलीभ (जहाँगीर) के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर आ रहे अबुल-फजल को रास्ते में वीर सिंह बुन्देला नामक सरदार ने हत्या कर दी।
> मुगल सम्राट् अकबर ने 'अनुवाद विभाग' की स्थापना की।
> नकीब खाँ, अब्दुल कादिर बदायूंनी तथा शेख सुल्तान ने रामायण एवं महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत का नाम 'रज्मनामा' (युद्धों की पुस्तक) रखा।
> पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर-ए- सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने यार-ए-दानिश नाम से किया। हाजी इब्राहिम सरहदी ने अथर्ववेद का, मुल्लाशाह मोहम्मद ने राजतरंगिणी का, अब्दुर्रहीम खानखाना ने 'तुजुक-ए-बाबरी' का तथा फैजी ने लीलावती का फारसी में अनुवाद किया। फैजी ने नल दमयन्ती (सूरदास द्वारा रचित) कथा का फारसी में अनुवाद कर उसका नाम 'सहेली' रखा।
> अकबर के काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है।
> अकबर ने बीरबल को कविप्रिय एवं नरहरि को महापात्र की उपाधि प्रदान की।
> बुलन्द दरवाजा का निर्माण अकबर ने गुजरात-विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
> चार बाग बनाने की परंपरा अकबर के समय शुरू हुई।
> अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुस्समद को एवं जड़ी कलम की उपाधि मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को दिया।
नोट : मुगलों की राजकीय भाषा फारसी थी।

अकबर नक्कारा (नगाड़ा) नामक वाद्ययंत्र बजाता था।

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लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

भारत का इतिहास , प्राचीन भारत, सिन्धु सभ्यता

  सिन्धु सभ्यता 3.  सिन्धु सभ्यता     रेडियोकार्थन C4 जैी नवीन विश्वेषण-पदधति के द्वारा सिन्धु सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2400 ईसा पूर्व से 1700 ईसा पूर्व मानी गयी है। इसका विस्तार त्रिभुजाकार है। * सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की । * सिन्धु सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक (Potohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा सकता है । इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। * सर जान मार्शल (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 ई. में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की। * सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेंडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्र.), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट मॉँदा (जम्मू-कश्मीर) व दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)। * सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्कव  अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 क

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

  मराठों का उत्कर्ष (Marathas high) > मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था > शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। > शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था । > शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था। > शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।  > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे। > शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली। > अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। > 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। > शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी > बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा। > शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी। > शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा । &g

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी

Sikander Mahan (सिकंदर महान)

Sikander Mahan (सिकंदर महान) *  सिकन्दर का जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ। *  सिकन्दर के पिता का नाम फिलिप था। *  फिलिप 359 ईसा पूर्व में मकदूनिया का शासक बना। इसकी हत्या 329 ईसा पूर्व में कर दी गयी। *  सिकन्दर अरस्तू का शिष्य था। * सिकन्दर ने भारत-विजय का अभियान 326 ईसा पूर्व में प्रारंभ किया। * सिकन्दर का सेनापति सेल्यूकस निकेटर था। * सिकन्दर को पंजाब के शासक पीरस के साथ युद्ध करना पड़ा, जिसे हाइडेस्पीज के युद्ध या झेलम (वितस्ता) का युद्ध के नाम से जाना जाता है। * सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी के पश्चिमी तट पर पहुँचकर उसे पार करने से इन्कार कर दिया। * सिकन्दर स्थल-मार्ग द्वारा 325 ईसा पूर्व में भारत से लीटा। * सिकन्दर की मृत्यु 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन में 33 वर्ष की अवस्था में हो गयी। * सिकन्दर का जल-सेनापति था-निर्याकस। * सिकन्दर का प्रिय घोड़ा बऊकेफला था। इसी के नाम पर इसने झेलम नदी के तट पर बऊकेफला नामक नगर बसाया। भारत का इतिहास  ,  प्राचीन भारत  

Vakataka Dynasty (वाकाटक राजवंश)

Vakataka Dynasty (वाकाटक राजवंश) *  वाकाटक राजवंश की स्थापना 255 ई. के लगभग विन्ध्यशक्ति नामक व्यक्ति ने की थी। इसके पूर्वज सातवाहनों के अधीन बरार (विद्भ) के स्थानीय शासक थे। *  विन्ध्यशक्ति के पश्चात उसका पुत्र प्रवरसेन प्रथम (275-335 ई.) शासक हुआ। वाकाटक वंश का वह अकेला ऐसा शासक था जिसने सम्राट की उपाधि धारण की थी। पुराणों से पता चलता है कि इसने चार अश्वमेध यज्ञ किया था । *  प्रवरसेन के पश्चात वाकाटक साम्राज्य दो शाखाओ में विभक्त हो गया-प्रधान शाखा तथा बासीय (वरसगुल्म) शाखा। दोनों शाखाएँ समानान्तर रूप से शासन किया। *  प्रधान शाखा के प्रमुख राजा-रूद्रसेन प्रथम (335-360ई.), प्रभावती गुप्ता का संरक्षण काल (390-410), प्रवरसेन द्वितीय (41-440 ई.) नरेन्द्र सेन (440-460 ई.), पृथ्वीसेन द्वितीय (460-480 ई.) *  गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी पुत्री प्रभावती गुप्ता का विवाह वाकाटक नरेश रूद्रसेन द्वितीय से किया वाकाटकों का राज्य गुप्त एवं शक राज्यों के बीच था। राज्यों पर विजय प्राप्त करने के लिए चन्द्रगुप्त-II ने इस संबंध को स्थापित किया था बिवाह के समय बाद रूद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हो

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

Vaishnava Dharma वैष्णव धर्म

वैष्णव धर्म *   वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिपदों से मिलती है। इसका विकास भगवत धर्म से हुआ। नारायण के पूजक मूलतः पंचरात्र कहे जाते थे । * वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो वृषण कबीले के थे और जिनका निवास स्थान मथुरा था। * कृष्ण का उल्लेख सर्वप्रथम छांदोग्य उपनिषद् में देवकी पुत्र और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ है। वासुदेव कृष्ण का सबसे प्रारंभिक  अभिलेखीय उल्लेख बेसनगर स्तम्भ अभिलेख में पाया गया है। * विष्णु  के दस अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है। दस अवतार इस प्रकार है-मत्य, कू्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, बलराम, बुद्ध एवं कल्कि । गुप्तकाल में विष्णु का वराह अवतार सर्वाधिक प्रसिद्ध था। * वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है। नोट : भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र में छः तिलियाँ हैं। प्रमुख सम्प्रदाय, मत एवं आचार्य प्रमुख सम्प्रदाय                     मत                           आचार्य वैष्णव सम्प्रदाय                          विशिष्टाद्वैत              रामानुज ब्राह्मण सम्प्रदाय                      द्