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सिक्ख एवं अंग्रेज (Sikh and Brutushers)

> सिक्ख सम्रदाय की स्थापना का श्रेय गुरु नानक ( प्रथम गुरु) को है। गुरु नानक के अनुयायी ही सिक्ख कहलाए । ये बादशाह আबर एवं हुमायूँ के समकालीन थे ।
> सन् 1469 ई. की कार्तिक पूर्णिमा को नानक को आध्यात्मिक पुनर्जीवन का आभास हुआ।
> गुरुनानक ने गुरु का लंगर नामक निःशुल्क सहभागी भोजनालय स्थापित किए।
> गुरुनानक ने अनेक स्थानों पर संगत ( धर्मशाला) और पंगत (लंगर) स्थापित किए।
> संगत और पंगत ने गुरुनानक के अनुयायियों के लिए एक संस्था का कार्य किया, जहाँ वे प्रतिदिन मिलते थे ।
> गुरु नानक की 1538 ई. में करतारपुर में मृत्यु हो गयी।
> गुरु अंगद (1539-52 ई.) सिक्खों के दूसरे गुरु थे। इनका प्रारम्भिक नाम लहना था।
> इन्होंने नानक द्वारा शुरू की गई लंगर-व्यवस्था को स्थायी बना दिया।
> गुरुमुखी लिपि का आरंभ गुरु अंगद ने किया।
> सिक्खों के तीसरे गुरु अमरदास (1552-1574 ई.) थे।
> गुरु अमरदास ने हिन्दुओं से पृथक् होनेवाले कई कार्य किए।
> हिन्दुओं से अलग विवाह पद्धति लवन को प्रचलित किया।
> अकबर ने गुरु अमरदास से गोविन्दवाल जाकर भेंट की और गुरु-पुत्री बीबी भानी को कई गाँव दान में दिए ।
> अमरदास ने 22 गद्दियों की स्थापना की और प्रत्येक पर एक महन्त की नियुक्ति की।
> बीबी के पति रामदास (1574-1581ई.) सिक्खों के चौथे गुरु हुए।
> अकबर ने बीबी भानी को 500 बीघा भूमि दी। गुरु रामदास ने इसी भूमि पर अमृतसर नामक जलाशय खुदवाया और अमृतसर नगर की स्थापना की। गुरु रामदास ने अपने तीसरे पुत्र अर्जुन को गुरु का पद सौंपा। इस प्रकार इन्होंने गुरु-पद को पैतृक बनाया।
> गुरु अर्जुन (1581-1606 ई.) सिक्खों के पाँचवें गुरु हुए। इन्होंने सिक्खों के धार्मिक ग्रंथ आदिग्रंथ की रचना की। इसमें गुरु नानक की प्रेरणाप्रद प्रार्थनाएँ और गीत संकलित हैं ।
नोट : गुरु ग्रंथ साहिब यानी आदिग्रंथ में सिक्ख गुरुओं के साथ-साथ कबीर, नामदेव एवं रैदास की रचनाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
> गुरु अर्जुन ने अमृतसर जलाशय के मध्य में हरमन्दर साहब का निर्माण कराया।
> राजकुमार खुसरो की सहायता करने के कारण जहाँगीर ने 1606 ई.में गुरु अर्जुन को मरवा दिया।
> सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द (1606-1645 ई.) हुए। इन्होंने सिक्खों को सैन्य संगठन का रूप दिया तथा अकाल तख्त या ईश्वर के सिंहासन का निर्माण करवाया ।
> ये दो तलवार बाँधकर गद्दी पर बैठते थे एवं दरबार में नगाड़ा बजाने की व्यवस्था की। इन्होंने अमृतसर की किलेबंदी की ।
> सिक्खों के सातवें गुरु हरराय (1645-61 ई.) हुए। इन्होंने दारा शिकोह को मिलने आने पर आशीर्वाद दिया।
> सिक्खों के आठवें गुरु हरकिशन (1661-64 ई.) हुए। इनकी मृत्यु चेचक से हो गयी। इन्हें दिल्ली जाकर गुरुपद के बारे में औरंगजेब को समझाना पड़ा था।
> सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर (1664-75 ई.) हुए। इस्लाम स्वीकार नहीं करने के कारण औरंगजेब ने इन्हें वर्तमान शीशगंज में गुरुद्वारा के निकट मरवा दिया।
> सिक्खों के दसवें एवं    अंतिम गुरु, गुरु गोविन्द सिंह (1675-1708 ई.) हुए। इनका जन्म 1666 ई. में पटना में हुआ था।
> गुरुगोविन्द सिंह अपने को सच्चा पादशाह कहा। इन्होंने सिक्खों के लिए पाँच 'ककार' अनिवार्य किया अर्थात् प्रत्येक सिक्ख को केश, कघा, कृपाण, कच्छा और कड़ा रखने की अनुमति दी और सभी लोगों को अपने नाम के अन्त में 'सिंह' शब्द जोड़ने के लिए कहा।
> गुरुगोविन्द सिंह का निवास-स्थान आनंदपुर साहिब था एवं कार्यस्थली पाओता थी ।
> इनके दो पुत्र फतह सिंह एवं जोरावर सिंह को सरहिंद के मुगल फौजदार वजीर खाँ ने दीवार में चिनवा दिया।
> 1699 ई. में वैशाखी के दिन गुरुगोविन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की । पाहुल प्रणाली की शुरुआत भी गुरुगोविन्द सिंह ने की ।
> गुरुगोविन्द सिंह ने सिक्खों के धार्मिक ग्रंथ आदिग्रंथ को वर्तमान रूप दिया और कहा कि अब 'गुरुवाणी' सिक्ख सम्प्रदाय के गुरु का कार्य करेगी।
> गुरुगोविन्द सिंह की हत्या 1708 ई. में नांदेड़ नामक स्थान पर गुल खाँ नामक पठान ने कर दी।
> बन्दा बहादुर : इनका जन्म 1670 ई. में पुँछ जिले के रजौली गाँव में हुआ था। इसके बचपन का नाम लक्ष्मणदास था। इनके पिता रामदेव भारद्वाज राजपूत थे।
> बन्दा का उद्देश्य पंजाब में एक सिक्ख राज्य स्थापित करने का था। इसके लिए इन्होंने लौहगढ़ को राजधानी बनाया। इन्होंने गुरुनानक एवं गुरुगोविन्द सिंह नाम के सिक्के चलवाए ।
> बन्दा ने सरहिन्द के मुगल फौजदार वजीर खाँ की हत्या कर दी।
> मुगल बादशाह फर्रुखशियर के आदेश पर 1716 ई. में बन्दा सिंह को गुरुदासपुर नांगल नामक स्थान पर पकड़कर मौत के घाट उतार दिया गया।
> शहादरा कत्लगढ़ी के नाम से विख्यात है जहाँ बन्दा ने हजारों मुगल सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।
> बन्दा की मृत्यु के बाद सिक्ख कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गए थे, 1748 ई. में नवाब कर्पूर सिंह की पहल पर, सभी सिक्ख टुकड़ियों का दल खालसा में विलय हुआ।
> दल खालसा को जस्सा सिंह आहलूवालिया के नेतृत्व में रखा गया, जिसे बाद में बारह दलों में विभाजित किया गया इसे मिसल कहा गया।
> मिसल अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ 'समान' होता है । 
> रणजीत सिंह : रणजीत सिंह का जन्म गुजरावाला में 2 नवम्बर, 1780 ई. को सुकरचकिया मिसल के मुखिया महासिंह के यहाँ हुआ था। इनके दादा चरतसिंह ने 12 मिसलों में सुकरचकिया मिसल को प्रमुख स्थान दिला दिया ।
> 1798-99 ई. में रणजीत सिंह लाहौर का शासक बना। 25 अप्रैल, 1809 ई. को चार्ल्स मेटकाफ और महाराजा रणजीत सिंह के बीच अमृतसर की संधि हुई।
> रणजीत सिंह का राज्य चार सूबों में बँटा था-पेशावर, कश्मीर, मुल्तान एवं लाहौर ।
> महाराजा रणजीत सिंह का विदेश मंत्री फकीर अज़ीजुद्दीन एवं वित्त मंत्री दीनानाथ था।
> 7 जून, 1839 ई. में रणजीत सिंह की मृत्यु हो गयी ।
> प्रथम आँग्ल-सिक्ख युद्ध 1845-46 ई. में एवं द्वितीय आँग्ल-सिक्ख युद्ध 1849 ई. में हुआ।

अंग्रेजों एवं सिक्खों के मध्य हुई संधि :
1. लाहौर की संधि : 9 मार्च, 1846 ई. ।
2. भैरोंवाल की संधि : 22 दिसम्बर, 1846 ई. । इस संधि के तहत राजा दलीप सिंह के संरक्षण हेतु अंग्रेजी सेना का प्रवास पंजाब में मान लिया गया।
> 20 अगस्त, 1847 ई. को महारानी जिंदा को राजा दलीप सिंह से अलग कर 48,000 वार्षिक पेंशन देकर शेखपुरा भेज दिया गया।
> द्वितीय आँग्ल-सिक्ख युद्ध के दौरान पहली लड़ाई चिलियानवाला की लड़ाई सिक्ख नेता शेर सिंह एवं अंग्रेज कमांडर गफ के मध्य लड़ी गयी। दूसरी लड़ाई गुजरात के चिनाब नदी के किनारे चार्ल्स  नेपियर के नेतृत्व में अंग्रेजों ने 21 फरवरी, 1849 को लड़ी। इस युद्ध में सिक्ख बुरी तरह पराजित हुए।
> लार्ड डलहौजी की 29 मार्च, 1849 की घोषणा द्वारा संपूर्ण पंजाब का विलय अंग्रेजी राज्य में कर लिया। महाराजा दलीप सिंह को 50,000 पौंड की वार्षिक पेंशन दे दी गयी और उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया 
>  सिक्ख राज्य का प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर को महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया ।

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मुगल साम्राज्य (बाबर ) ,Mughal Empire (Babur )

मुगल साम्राज्य (बाबर (1526 - 1530 ई.) ,Mughal Empire (Babur (1526 - 1530 AD) मुगल वंश का संस्थापक बाबर था। बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे। बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था। बाबर (1526 - 1530 ई.) > बाबर का जन्म फरवरी, 1483 ई. में हुआ था। इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई. में बैठा । > बाबर ने 1507 ई. में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी। बाबर के चार पुत्र थे-हुमायूँ, कामरान, असकरी तथा हिंदाल । > बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया। बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई.  में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था। इस अभियान में बाबर ने बाजीर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया। > पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था । उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था।

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लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore)

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore) > 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। > हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हो गयी। > हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टापू सुल्तान हुआ। > 1787 ई. में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'पादशाह' की उपाधि धारण की। > टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टेनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना। प्रमुख युद्ध वर्ष गवर्नर जनरल प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 - 69 ई. - द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 - 84 ई वारेन हेर्स्टिंग्स तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1790 - 92 ई. कार्नवालिस चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. लॉर्ड वेलेजली > इस युद्ध में मराठा, हैदराबाद के निजाम एवं अंग्रेजों की संयुक्त सेना मैसूर के खिलाफ लड़ रही थी । > टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आँग्ल-मैसूर युद्ध के

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

  मराठों का उत्कर्ष (Marathas high) > मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था > शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। > शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था । > शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था। > शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।  > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे। > शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली। > अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। > 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। > शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी > बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा। > शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी। > शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा । &g

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता)

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता) *  वैदिककाल  का विभाजन दो भागों 1. ऋग्वेदिक  काल 1500-1000 ई. पू. और 2, उत्तर वैदिककाल-1000-600 ई. पू. में किया गया है। *  आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई। यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आयों की भाषा संस्कृत थी। नोट : आर्य शब्द भाषा-समूह को इंगित करता है। * आयों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बाँटा था-कुल, ग्राम, विश  जन, राष्ट्र। ग्राम  के मुखिया ग्रामिणी, विशू का प्रधान विशपति एवं जन के शासक राजन कहलाते थे। * राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे। वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे। *  सूत, रथकार व कम्मादी  नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे। इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हज़ार  हुआ  करती थी। * पुरप - दुर्गपति एवं  स्पर्श- जनता की गतिविधियों को देखने  वाले गुप्तचर होते थे  * वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था।  * उग्र- अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था। नोट

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी

Bodh Dharma (बौद्ध धर्म)

बौद्ध धर्म * बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया का ज्योति पुञ्ज (Light of Asia) कहा जाता है। * बुद्ध के जीवन से संबंधित बोद्ध धर्म के प्रतीक:- घटना                         प्रतीक जन्म                                  कमल एवं सांड गृहत्याग                      घोड़ा ज्ञान                                    पीपल (बोधि वृक्ष) निर्वाण                               पद-चिह्न मृत्यु                                    स्तूप *  गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। *  इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे । *  इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी। इनका लालन-पालन इनकी सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था। *   इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। * गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था । * सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा- 1. बूढ़ा व्यक्ति,  2. एक बीमार व्यक्ति, 3. शव एवं  4. एक संन्यासी। * सांसारिक समस्याओं से व्य