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खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

 
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खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD)

> गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की ।
> इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
> जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी।
> खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना।
> अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था।
> अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी ।
Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है ।
> अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया।
> इसने खम्स (लूट का धन) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया।
> इसने व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया। इसने अपने शासनकाल में 'मूल्य नियंत्रण प्रणाली' को दृढ़ता से लागू किया।
> दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा।
> जमैयत खाना मस्जिद, अलाई दरवाजा, सीरी का किला तथा हजार खम्भी महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
> अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तुकला का रत्न कहा जाता है।
> दैवी अधिकार के सिद्धान्त को अलाउद्दीन ने चलाया था।
> सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया ।
> अलाउद्दीन ने मलिक याकूब को दीवान-ए-रियासत नियुक्त किया था ।
> अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना-नवीस नामक अधिकारी वस्तुओं की परमिट जारी करता था।
> शहना-ए-मंडी-यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था।
सराए-ए-अदल-यहाँ वस्त्र, शक्कर, जड़ी-बूटी, मेवा, दीपक का
तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थीं।
> अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी
जियाउद्दीन बरनी की कृति तारीखे फिरोजशाही से मिलती है ।
> खजाइनुल-फतूह-अमीर खुसरो, रिहला-इब्न बतूता एवं फुतूहस्सलातीन-इसामी की कृति है।
> मूल्य-नियंत्रण को सफल बनाने में मुहतसिब (सेंसर) एवं नाजिर (नाप-तौल अधिकारी) की महत्वपूर्ण भूमिका थी ।
राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन ने सर्वप्रथम मिल्क, इनाम एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को वापस लेकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया।
Note:- बाजार नियंत्रण करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बनाए जाने वाले नवीन पद (क्रमानुसार) दीवान-ए-रियासत : यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था। यह बाजार-नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था।
शहना-ए-मंडी : प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक।
बरीद : बाजार के अन्दर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था।
मुनहियान व गुप्तचर : गुप्त सूचना प्राप्त करता था।
> अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाये जानेवाले दो नवीन कर थे-
1. चराई कर : दुधारू पशुओं पर लगाया जाता था, 
2. गढ़ी कर : घरों एवं झोपड़ी पर लगाया जाता था।
> अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 ई. तक मंगोलों के छः आक्रमण हुए । 
प्रथम आक्रमण 1297 ई.में कादर खाँ के नेतृत्व में, 
दूसरा आक्रमण 1298 ई. में सल्दी के नेतृत्व में, 
शीत तीसरा आक्रमण 1299 ई.में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में, 
चौथा आक्रमण 1303 ई. में तार्गी के नेतृत्व में, 
पाँचवां आक्रमण 1305 ई. में अलीबेग और तात्ताक के नेतृत्व में एवं 
छठा आक्रमण 1306 ई. में कबक एवं इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ।
> अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी, 1316 ई. को हो गयी।
> कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी 1316 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसे नग्न स्त्री, पुरुष की संगत पसन्द थी।
मुबारक खिलजी कभी-कभी राजदरबार में स्त्रियों का वस्त्र पहनकर आ जाता था। बरनी के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
> मुबारक खाँ ने खलीफा की उपाधि धारण की थी ।
> मुबारक के वजीर खुशरों खाँ ने 15 अप्रैल, 1320 ई. को इसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
> खुशरों खाँ ने पैगम्बर के सेनापति की उपाधि धारण की ।

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