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विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire)

 
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire)



> विजयनगर साम्राज्य की स्थापनों 1336 ई. में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी, जो पाँच भाइयों के परिवार के अंग थे। विजयनगर का शाब्दिक अर्थ है--जीत का शहर ।00
> हरिहर एवं बुक्का ने विजयनगर की स्थापना विद्यारण्य सन्त से आशीर्वाद प्राप्त कर की थी।
> हरिहर एवं बुक्का ने अपने पिता संगम के नाम पर संगम राजवंश की स्थापना की।
> विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी थी। विजयनगर साम्राज्य के खण्डहर तुंगभद्रा नदी पर स्थित है। इसकी राजभाषा तेलगू थी ।
> हरिहर एवं बुक्का पहले वारंगल के काकतीय शासक प्रताप रुद्रदेव के सामंत थे।
> विजयनगर साम्राज्य पर क्रमशः निम्न वंशों ने शासन किया-संगम, सलुंब, तुलुब एवं अरावीडू वंश ।
> बुक्का-I ने वेदमार्ग प्रतिष्ठापक की उपाधि धारण की ।
> हरिहर-II ने संगम शासकों में सबसे पहले महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी।
> इटली का यात्री निकोलो काण्टी विजयनगर की यात्रा पर देवराय प्रथम के शासन काल में आया।
> देवराय प्रथम ने तुंगभद्रा नदी पर एक बाँध बनवाया ताकि जल की कमी दूर करने के लिए नगर में नहरें ला सकें । सिंचाई के लिए उसने हरिद्र नदी पर भी बाँध बनवाया।
> संगम वंश का सबसे प्रतापी राजा देवराय द्वितीय था । इसे इमाडिदेवराय भी कहा जाता था।
> फारसी राजदूत अब्दुल रज्जाक देवराय-II के शासनकाल में विजयनगर आया था। इसके अनुसार विजयनगर में पुलिसवालों का वेतन वेश्यालय की आय से दी जाती थी।
> तेलगू कवि श्रीनाथ कुछ दिनों तक देवराय-II के दरबार में रहे।
> फरिश्ता के अनुसार देवराय-II ने अपनी सेना में दो हजार मुसलमानों को भर्ती किया था एवं उन्हें जागीरें दी थीं ।
> एक अभिलेख में देवराय-II को जगबेटकर (हाथियों का शिकारी) कहा गया है।
> देवराय-II ने संस्कृत ग्रंथ महानाटक सुधानिधि एवं व्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा।
> मल्लिकार्जुन को प्रौढ़ देवराय भी कहा जाता था।
> सालुव नरसिंह ने विजयनगर में दूसरे राजवंश सालुव वंश (1485- 1506 ई.) की स्थापना की।
> सालुव वंश के बाद विजयनगर पर तुलुव वंश का शासन स्थापित हुआ।
> तुलुव वंश (1505-1565ई.) की स्थापना वीर नरसिंह ने की थी ।
> तुलुव वंश का महान शासक कृष्णदेव राय था। वह 8 अगस्त,1509ई. को शासक बना। सालुव तिम्मा कृष्णदेवराय का योग्य मंत्री एवं सेनापति था। बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में कृष्णदेव राय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया।
> कृष्णदेव राय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डोमिगोस पायस विजयनगर आया था।
> कृष्णदेव राय के दरबार में तेलगू साहित्य के आठ सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे, जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता था । उसके शासनकाल को तेलगू साहित्य का 'क्लासिक युग' कहा गया है ।
> कृष्णदेव राय ने तेलगू में अमुक्तमाल्याद् एवं संस्कृत में जाम्बवती कल्याणम् की रचना की।
> पांडुरंग महात्यम् की रचना तेनालीराम रामकृष्ण ने की थी।
> नागलपुर नामक नये नगर, हजारा एवं विट्ठलस्वामी मंदिर का निर्माण कृष्णदेव राय ने करवाया था । कृष्णदेव राय की मृत्यु 1529 ई. में हो गयी।
> कृष्णदेव राय ने आन्ध्रभोज, अभिनव भोज, आन्ध्र पितामह आदि उपाधि धारण की थी।
> तुलुव वंश का अन्तिम शासक सदाशिव था ।
> राक्षसी-तंगड़ी या तालिकोटा या बन्नीहट्टी का युद्ध 23 जनवरी, 1565 ई. में हुआ। इसी युद्ध के कारण विजयनगर का पतन हुआ।
> विजयनगर के विरुद्ध बने दक्षिण राज्यों के संघ में शामिल था-बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा एवं बीदर । इस संयुक्त मोर्चे का नेतृत्व अली आदिलशाह कर रहा था ।
> तालिकोटा के युद्ध में विजयनगर का नेतृत्व राम राय कर रहा था।
> विजयनगर के राजाओं और बहमनी के सुल्तानों के हित तीन अलग-अलग क्षेत्रों में आपस में टकराते थे : तूंगभद्रा के दोआब में, कृष्णा-गोदावरी के कछार में और मराठ वाड़ा प्रदेश में।
> तालिकोटा युद्ध के बाद सदाशिव ने तिरुमल के सहयोग से पेनुकोंडा को राजधानी बनाकर शासन करना प्रारंभ किया।
> विजयनगर के चौथे राजवंश अरावीडू वंश (1570-1672 ई.) की स्थापना तिरुमल ने सदाशिव को अपदस्थ कर पेनुकोंडा में किया।
> अरावीडू वंश का अंतिम शासक रंग-III था।
> अरावीडू शासक वेंकट-II के शासनकाल में ही वोडेयार ने 1612ई. में मैसूर राज्य की स्थापना की थी।
> विजयनगर साम्राज्य की प्रशासनिक इकाई का क्रम (घटते हुए) इस प्रकार था-प्रांत (मंडल) कोट्टम या वलनाडू (जिला). नाडू मेलाग्राम (50 ग्राम का समूह)ऊर (ग्राम)।
> विजयनगर-कालीन सेनानायकों को नायक कहा जाता था। ये
नायक वस्तुतः भूसामंत थे, जिन्हें राजा वेतन के बदले अथवाउनकी अधीनस्थ सेना के रख-रखाव के लिए विशेष भू-खंड दे देता था जो अमरम् कहलाता था ।
आयंगर व्यवस्था : प्रशासन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए प्रत्येक ग्राम को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में संगठित किया गया था। इन संगठित ग्रामीण इकाइयों पर शासन हेतु बारह प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी, जिनको सामूहिक रूप से आयंगर कहा जाता था। ये अवैतनिक होते थे इनकी सेवाओं के बदले सरकार इन्हें पूर्णतः लगानमुक्त एवं करमुक्त भूमि प्रदान करती थी। इनका पद आनुवंशिक होता था वह इस पद को बेच या गिरवी रख सकता था। ग्राम-स्तर की कोई भी सम्पत्ति इन अधिकारियों की इजाजत के बगैर न तो बेची जा सकती थी और न ही दान में दी जा सकती थी।

> बिजयनगर आने वाला प्रमुख विदेशी यात्री, 

यात्री

देश

काल

शासक

निकोलो कोंटी

इटली

1420 ई.

देवराय-I

अब्दुरंज्जाक

फारस

1442 ई.

देवराय-II

नूनिज

पुर्तगाल

1535 ई.

अच्युत राय

डोमिंग पायस

पुर्तगाल

1515 .

कृष्णदेव राय

बारबोसा

पुर्तगाल

1515-16 ई.

कृष्णदेव राय

 > कर्णिक नामक आयंगर के पास जमीन के क्रय- विक्रय से संबंधित समस्त दस्तावेज होते थे ।

> विजयनगर साम्राज्य की आय का सबसे बड़ा स्रोत लगान था।

> भू-राजस्व की दर उपज का 1/6वाँ भाग था।

> विवाह-कर, वर एवं वधू दोनों से लिया जाता था। विधवा से विवाह करने वाले इस कर से मुक्त थे ।
> उंबलि : ग्राम में विशेष सेवाओं के बदले दी जाने वाली लगानमुक्त भूमि की भू-धारण पद्धति थी ।
> रत्त कोड़गे : युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन करनेवाले मृत लोगों के परिवार को दी गई भूमि को कहा जाता था।
> कुट्टगि: ब्राह्यण, मंदिर या बड़े भूस्वामी, जो स्वयं कृषि नहीं करते थे, किसानों को पट्टे पर भूमि दे देते थे, ऐसी भूमि कोकुट्टगि कहा जाता था ।
>  कृषक मजदूर जो भूमि के क्रय विक्रय के साथ ही हस्तांतरित हो जाते थे, कृदि कहलाते थे।
> विजयनगर का सैन्य विभाग कदाचार कहलाता था तथा इस विभोग का उच्च अधिकारी दण्डनायक या सेनापति होता था टकसाल विभाग को जोरीखाना कहा जाता था।
> चेट्टियों की तरह व्यापार में निपुण दस्तकार वर्ग के लोगों को वीर पंजाल कहा जाता था।
> उत्तर भारत से दक्षिण भारत में आकर बसे लोगों को बड़वा कहा जाता था।
> विजयनगर में दास-प्रथा प्रचलित थी । मनुष्यों के क्रय-विक्रय को वेस-वर्ग कहा जाता था।
> मंदिरों में रहनेवाली स्त्रियों को देवदासी कहा जाता था इनको आजीविका के लिए भूमि या नियमित वेतन दिया जाता था।
नोट : विजयनगर की मुद्रा पेगीडा तथा बहमनी राज्य की मुद्रा हूण थी।


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लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793 और 1805 ई.) Lord Cornwallis (1786–1793 and 1805 AD) > इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए। > इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए, नियुक्त कीं। > कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। > पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया। > कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। > जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया। > भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था > इसने 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू-राजस्व का लगभग 90%(10/11 ) भाग कम्पनी को तथा लगभग 10% भाग

History of India, Ancient India, भारत का इतिहास , प्राचीन भारत,

भारत का इतिहास      उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है, जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में भारतवर्ष' अर्थात् 'भरतों का देश' तथा यहाँ के निवासियों को भारती अर्थात्भ रत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जम्बूद्वीप अर्थात् जम्बू (जामुन) वृक्षों का द्वीप कहते थे। प्राचीन ईरानी इसे सिन्धु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे वे सिन्धु न कहकर हिन्दू कहते थे यही नाम फिर पूरे पश्चिम में फैल गया और पूरे देश को इसी एक नदी के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी इसे "इंदे" और अरब इसे हिन्द कहते थे मध्यकाल में इस देश को हिन्दुस्तान कहा जाने लगा यह शब्द भी फारसी शब्द "हिन्दू" से बना है। यूनानी भाषा के "इंदे" के आधार पर अंग्रेज इसे "इंडिया कहने लगे।     विध्य की पर्वत-शृंखला देश को उत्तर और दक्षिण, दो भागों में बाँटती है। उत्तर में इंडो यूरोपीय परिवार की भाषाएँ बोलने वालों की और दक्षिण में द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलने वालों का बहुमत है। नोट : भारत की जनसंख्या का निर्मा

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore)

अंग्रेजों के मैसूर से संबंध (British relations with Mysore) > 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। > हैदर अली की मृत्यु 1782 ई. में द्वितीय ऑग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हो गयी। > हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टापू सुल्तान हुआ। > 1787 ई. में टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम में 'पादशाह' की उपाधि धारण की। > टीपू ने अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टेनम में स्वतंत्रता का वृक्ष लगवाया और साथ ही जैकोबिन क्लब का सदस्य बना। प्रमुख युद्ध वर्ष गवर्नर जनरल प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 1767 - 69 ई. - द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 - 84 ई वारेन हेर्स्टिंग्स तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1790 - 92 ई. कार्नवालिस चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 ई. लॉर्ड वेलेजली > इस युद्ध में मराठा, हैदराबाद के निजाम एवं अंग्रेजों की संयुक्त सेना मैसूर के खिलाफ लड़ रही थी । > टीपू की मृत्यु श्रीरंगपट्टम की आखिरी युद्ध यानी चतुर्थ आँग्ल-मैसूर युद्ध के

Sangam era (संगम युग)

Sangam era (संगम युग) * ऐतिहासिक युग के प्रारंभ में दक्षिणण भारत का क्रमवद्ध इतिहास हमे जिस साहित्य से ज्ञात होता है उसे संगम साहित्य कहा जाता है। संगम शब्द का अर्थ परिषद् अथवा गोष्टी होता है जिनमें तमिल कवि एवं विद्वान एकत्र होते थे। प्रत्येक कवि अथवा लेखक अपनी रचना ओ को संगम के समक्ष प्रस्तुत करता था तथा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद ही किसी भी रचना का प्रकाशन सभव था। नोट : कवियों और विद्वानों की परिष के लिए ंगम नाम का प्रयोग *सर्वप्रथम सातवीं सदी के प्रारंभ में शैव सन्त (नायनार) तिरूनावुक्क रशु (अष्यार) ने किया। * परम्परा के अनुसार अति प्राचीन समय में पाण्ड्य राजाओं संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किए गए इनमें संकलित साहित्य को ही संगम साहित्य की संज्ञा प्रदान की गयी। उपलब्ध संगम साहित्य का विभाजन तीन भागों में किया जाता है।  1 पत्युष्पानु  2 इत्युयोकै तथा  3. पादिनेन कीलकन्क्कु। *  तिरुवल्लुवर  कृत कुराल तमिल साहित्य का एक आधारभूत ग्रंथ बताया जाता है। इसके विषय त्रिवर्ग आचारशास्त्र, राजनीति आर्थिक जीवन एवं प्रणय से संबंधित है * इलांगो कृत शिल्पादिकारम् एक उल्कृष्ट रचना है ज

खिलजी वंश (Khilji Dynasty)

  खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई.(Khilji Dynasty: 1290 to 1320 AD) > गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की । > इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। > जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन कड़ामानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी। > खिलजी ने 22 अक्टू.1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना। > अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। > अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी । Note :- अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। उसका जन्म पटियाली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास) में 1253 ई. में हुआ था। खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है । > अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को ब

मराठों का उत्कर्ष (Marathas high)

  मराठों का उत्कर्ष (Marathas high) > मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे शिवाजी का जन्म 6 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर दुर्ग (जुन्नार के समीप) में हुआ था > शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले एवं माता का नाम जीजाबाई था। > शाहजी भोंसले की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था । > शिवाजी के आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर गुरु रामदास का काफी प्रभाव था। > शिवाजी का विवाह साइबाई निम्बालकर से 1640 ई. में हुआ।  > शिवाजी के  गुरु कोंडदेव थे। > शाहजी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर स्वयं बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली। > अपने सैन्य अभियान के अन्तर्गत 1644 ई. में शिवाजी ने सर्वप्रथम बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। > 1656 ई. में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। > शिवाजी को राजा की उपाधि औरंगजेब ने दी थी > बीजापुर के सुल्तान ने अपने योग्य सेनापति अफजल खों को सितम्बर, 1659 ई. में शिवाजी को पराजित करने के लिए भेजा। > शिवाजी ने 10 नवम्बर, 1659 को अफ़जल खाँ की हत्या कर दी। > शिवाजी ने सूरत को 1664 ई. एवं 1670 ई. में लूटा । &g

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता)

History of India, Vedic Civilization ( भारत का इतिहास ,वैदिक सभ्यता) *  वैदिककाल  का विभाजन दो भागों 1. ऋग्वेदिक  काल 1500-1000 ई. पू. और 2, उत्तर वैदिककाल-1000-600 ई. पू. में किया गया है। *  आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे। मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास-स्थान मध्य एशिया को माना है आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई। यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। आयों की भाषा संस्कृत थी। नोट : आर्य शब्द भाषा-समूह को इंगित करता है। * आयों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बाँटा था-कुल, ग्राम, विश  जन, राष्ट्र। ग्राम  के मुखिया ग्रामिणी, विशू का प्रधान विशपति एवं जन के शासक राजन कहलाते थे। * राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे। वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे। *  सूत, रथकार व कम्मादी  नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे। इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हज़ार  हुआ  करती थी। * पुरप - दुर्गपति एवं  स्पर्श- जनता की गतिविधियों को देखने  वाले गुप्तचर होते थे  * वाजपति-गोचर भूमि का अधिकारी होता था।  * उग्र- अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था। नोट

Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)

 Maurya Empire (मौर्य साम्राज्य)  * मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था। जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेन्ड्रोकोट्टस कहा है, जिसकी पहचान विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य से की है। * विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए वृषल (आशय-निम्न कुल में उत्पन्न) शब्द का प्रयोग किया गया * घनानंद को हराने में चाणक्य (कौटिल्य/विष्णुगुप्त) ने चन्द्रगुप्त मौर्य की मदद की थी, जो बाद में चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री बना। इसके द्वारा लिखित पुस्तक अर्थशास्त्र है, जिसका संबंध राजनीति से है। * चन्द्रगुप्त मगध की राजगद्दी पर 322 ईसा पूर्व में बैठा। चन्द्रगुप्त जैनधर्म का अनुयायी था । * चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया । * चन्द्रगुप्त ने 305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया। * सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध की संधि शर्तो के अनुसार चार प्रांत काबुल, कन्यार, हेरात एवं मकरान चन्द्रगुप्त को दिए। * चन्द्रगुप्त मौर्य  ने जैनी गुरु भद्रबाहु से जैनधर्म की दी

Bodh Dharma (बौद्ध धर्म)

बौद्ध धर्म * बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। इन्हें एशिया का ज्योति पुञ्ज (Light of Asia) कहा जाता है। * बुद्ध के जीवन से संबंधित बोद्ध धर्म के प्रतीक:- घटना                         प्रतीक जन्म                                  कमल एवं सांड गृहत्याग                      घोड़ा ज्ञान                                    पीपल (बोधि वृक्ष) निर्वाण                               पद-चिह्न मृत्यु                                    स्तूप *  गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। *  इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे । *  इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवें दिन ही हो गई थी। इनका लालन-पालन इनकी सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था। *   इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। * गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ। इनके पुत्र का नाम राहुल था । * सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यों को क्रमशः देखा- 1. बूढ़ा व्यक्ति,  2. एक बीमार व्यक्ति, 3. शव एवं  4. एक संन्यासी। * सांसारिक समस्याओं से व्य